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Avinash Agnihotri

Tragedy

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Avinash Agnihotri

Tragedy

अंतिम उड़ान

अंतिम उड़ान

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आज फिर वह बड़े ही उदास मन से घर आए अतिथियों के लिए भोजन बना रही है।

उसे अब भी इसी बात का मलाल है,और शायद जीवनभर रहेगा। कि उसने आखिर उसे अकेला छोड़ा, ही क्यों।सब कहते तो है कि वक्त का मरहम धीरे धीरे हर घाव को भर देता है।

पर सुमन को देखकर तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता क्योकि आज उस दुर्घटना को घटे पूरे दस साल बीत गए थे।

पर इस मां के आंसू आज भी नहीं थमते, जिसका इकलौता बेटा आज मकर संक्रांति के ही दिन।

 पतंग उड़ाते हुए छत से नीचे आ गिरा था।

और पतंग की ड़ोर के साथ ही उसकी सांसो की ड़ोर भी हमेशा के लिए टूट गई।

और तभी से सुमन को ये नीला आसमान, जब जब भी रंग बिरंगी पतंगों से सराबोर होता है। सुमन की आंखों को सिवाए नमी के कुछ नहीं दे पाता है।


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