अनकही बातें
अनकही बातें
प्रिय चंचल,
तुम अपने नाम के अनुसार ही चंचल हो। सबका दिल जीत लेती हो। सबके मन की बात बिना कहे, समझ लेती हो, तुम्हारे पास सबकी परेशानियों का हल होता है। उस दिन जब मैं अपनी मैथ्स की किताब भूल आया था, तुमने सर से कह दिया कि मैंने तुम्हें दी थी और तुम लाना भूल गईं। कितनी आसानी ने तुमने मेरी उलझन समझ ली थी। बस नहीं समझ पाती हो तो मेरे दिल की बात! ज़रा मेरी आँखों में झांक कर देखो कितना प्यार छुपा है इनमें तुम्हारे लिए!
कभी तो मुझे मौका दो कि मैं तुमसे अपने प्यार का इज़हार कर सकूं! उस दिन जब हम कैंटीन में समोसे खा रहे थे, तुमने मेरे झूठे समोसे में से एक टुकड़ा खा लिया था, और मैं नादान उसे तुम्हारा प्यार समझ बैठा।
मैथ्स की किताब में मैंने तुम्हारे लिए गुलाब का फूल रखा था, जिसे तुमने पूरे एक महीने बाद देखा और बॉटनी की फाइल में लगा दिया। आज मैं पूरी हिम्मत करके तुमसे अपने प्यार का इज़हार करने जा रहा हूं। ये पत्र पढ़कर जवाब पत्र में ही देना। हां होगा तो मैं अपने आप को दुनिया का सबसे भाग्यशाली लड़का समझूंगा। और ना में भी हुआ तो मैं तुम्हारा मित्र बना रहूँगा।
कहते हैं ना -"वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा।"

