बटुए के पैसे
बटुए के पैसे
निहारिका के पति ऑफिस से आकर जैसे ही कपड़े टांगते, निहारिका उसमें से बटुआ निकालकर कुछ रुपए निकाल लेती। फिर उनसे खुद के लिए कुछ खरीद लाती।
अक्सर ऐसा ही होता। एक दिन उसकी सास ने यह देख लिया तो उसे टोका और बोली कि बहू ऐसा करने से घर में बरकत नहीं रहती।
तुम्हें जब भी ज़रूरत हो तुम्हारे पिताजी या निखिल से मांग सकती हो, पर अब ये ना करना।
तब से निहारिका ने ऐसा करना बंद कर दिया।
सास की दी ये सीख उसके जीवन का सबक बन गई।
