वो कौन थी ?
वो कौन थी ?
रात के साढ़े नौ बज रहे थे और डोरबेल बज उठी। कौन होगा ? सामान्यतः तो कोई इस समय आता नहीं ! पति महोदय तो सात बजे तक आ जाते हैं। ना ही मैंने किराने वाले से कुछ मंगाया,ना खाना ऑर्डर किया फिर कौन ? यह सोचते हुए दरवाजा खोलने जा ही रही थी कि मेरे पतिदेव ने दरवाजा खोल दिया। देखा तो अपार्टमेंट का सिक्योरिटी गार्ड हांफते हुए पूछ रहा था - साहब आपके घर में सब ठीक है ना ?
इन्होंने जवाब दिया - "हां क्यों क्या हुआ ?"
वह बोला -" साहब किसी महिला ने इंटरकॉम पर २५-३० बार कॉल कर दिया - हेल्प हेल्प बच्चे के रोने की आवाज़ भी आ रही थी। शायद उसे मदद की ज़रूरत है। पता नहीं चल पा रहा, कहां से फोन आया ? इसलिए हर फ्लैट में जाकर चेक कर रहे हैं। "
सुनकर हम भी चिंतित हो गए कि कौन होगी जिसे मदद कि ज़रूरत होगी ?
अनजानी आशंकाओं से मन भर गया। (कहीं किसी का पति मारपीट तो नहीं कर रहा ?या किसी की जान खतरे में तो नहीं ?। )भगवान करे सब ठीक हो। हम कॉरिडोर में निकल गए। देखा तो काफ़ी लोग जमा थे।
फिर यह तय हुआ कि हर कोई अपने अपने फ्लोर पर पता करे।
हमने भी अपने फ्लोर पर पता किया पर सब ठीक था। इसी तरह हर ब्लॉक में सबने अपने अपने फ्लोर पर पता किया । सब कुछ नॉर्मल लगा।
फिर किसी महाशय ने वॉट्सएप ग्रुप पर डाला कि चेकिंग में जिसके घर से महिला बाहर नहीं निकली हो, वहां दुबारा चेक किया जाए। सलाह अच्छी थी,सो ऐसा ही किया गया। अब सब लोग महिलाओं का चेहरा पढ़ने की कोशिश कर रहे थे। यहां भी सब कुछ सामान्य था। लेकिन सब आशंकित थे। सो यह तय किया गया कि हर घर से पूरी फैमिली बाहर निकले। और हर घर से पूरी फैमिली बाहर आ गई। यहां भी सब ठीक ! फिर आखिर कौन ? क्यों ? कैसे ?
कुछ महिलाओं को तो गपशप का एक विषय मिल गया कि फलां के घर में बहुत ज्यादा झगड़े होते हैं या फलां के घर से चिल्लाने की आवाज आती है या फलां व्यक्ति बहुत शराब पीता है। वो ही होगा,उसका परिवार परेशान है उससे।
कुछ औरतों ने तो एक गर्भवती महिला को भी नहीं छोड़ा। कहने लगीं,की "वह घर से बाहर नहीं आती,उसे डरा कर रखा जाता होगा। "
अब इन्हें कौन बताए कि उसे डॉक्टर ने कंप्लीट बेड रेस्ट करने का कहा है,इसलिए वह बाहर नहीं आती।
कुछ औरतों ने अपार्टमेंट में रह रहे बैचलर लडकों पर उंगली उठाई। तो कोई सोच रही थी कि किसी कामवाली बाई कि इज्जत खतरे में है।
बच्चों को भी घर से बाहर निकलने और जासूसी करने का मौका मिल गया।
हद तो तब हो गई जब एक लड़का मेरे फ्लैट के सामने खड़े मेरे पति के पास आकर बोला "अंकल ज़रूर इस फ्लैट में कोई प्रॉब्लम में फंसा होगा ! प्लीज़ चेक कीजिए ना"।
पतिदेव ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ इशारा करके बोला भाई ये मेरा ही फ्लैट है और -"वह रही मेरी 'बेटर हाफ'। " मैंने मुस्कुरा कर उसे हैलो कहा तो वह झेंपकर भाग गया।
जितने मुंह उतनी बातें।
एक महिला कहने लगी "अरे वो ५०८ वाले शर्माजी हैं ना उनकी लड़की का बॉयफ्रेंड घर आता है पढ़ाई के बहाने। "कहीं उसने तो नहीं कुछ किया" ?
अब इन महोदया को कौन समझाए कि वह लड़का दोस्त या सहपाठी भी तो हो सकता था। "फिर भी सेफ्टी के लिए उनका घर चेक किया तो बेटी पढ़ रही थी अपनी मां के पास बैठकर। उन महिलाओं का मुंह देखने लायक था जो कुछ देर पहले उसके चरित्र पर उंगली उठा रही थीं। मैंने घूर कर उस महिला की तरफ देखा तो वह वहां से खिसक ली।
कुछ लोग पुलिस कंप्लेंट लिखने की बात कर रहे थे,तो कुछ लोगों ने छत वगैरह भी चेक कर ली कि कोई चोर वगैरह छुपा तो नहीं !
अरे हां - एक अधेड़ महिला अपने लड़के बहू के साथ फ्लैट में रहती थी। वह बहू की काम में बहुत मदद करती थी, तो आस- पड़ोसियों को लगता था कि बेटा बहु उससे नौकरानी कि तरह काम करवाते होंगे,और उसका सारा पैसा हड़प गए होंगे। उसका घर भी चेक किया गया।
"अम्माजी आप ठीक तो हैं ना ?"
"हां बेटा क्यों क्या हुआ ? सारी बातों से अनजान अम्मा ने पूछा।"
"जी कुछ नहीं आप दिखीं नहीं आज पार्क में, तो पूछ लिया।"
अम्मा ने खुश होकर उसी महिला को अपनी फिकर करने के लिए ढेरों आशीर्वाद दिए,जो उनके बेटे बहू को कोसती रहती थी।
कुछ भी हो हमें किसी के बारे में कोई पूर्वाग्रह या धारणा नहीं बनानी चाहिए। क्योंकि हम नहीं जानते कि किसकी लाइफ में क्या चल रहा है।
खैर मुझे यहां शिफ्ट हुए दो ही साल हुए थे। पर बहुत ही अच्छा लगा अपार्टमेंट वालों की एकता देखकर,की अगर कोई मुसीबत में है तो उसकी मदद के लिए हर कोई तैयार है।
एक सोचने वाली बात यह है कि वह महिला इतनी बार कॉल कर सकती है,पर अपना फ्लैट नंबर नहीं बता सकती क्या ? आखिर क्यों ?
"वह हिम्मत वाली महिला इन्हीं महिलाओं में से एक होगी जिसने कॉल करके न केवल अपनेआप को और अपने बच्चे के साथ कुछ होने से बचा लिया, वरन् अपने पति को सबक भी सिखा दिया कि अगर अगली बार उसने उस पर हाथ उठाने या ज़ुल्म करने की कोशिश की तो क्या अंजाम होगा" ! साथ ही पति की छवि भी खराब ना करके उस पर भी एक अहसान कर दिया।
दाद देती हूं मैं उस महिला की। वो जो भी हो, जहां भी हो, खुश रहे।
