अनकहा सच
अनकहा सच
ताजे फूल लगाओ,कोना कोना महक जाये , इधर आओ पर्दा सही रखो ,कुर्सियों में चेक करो कोई टूटी ना हो ,विनोद सब देखरेख कर रहा था आखिर बेटे की शादी है हम सब मोटे तगड़े लोग परिवार के, कुर्सी तो सही हो। एक बार किसी की शादी में टूट गई तो मौसी जी नाराज हो गईं । शादी में लाखों खर्च की कुर्सी नहीं रखे मजबूत।
"हां विनोद भईया सब सही है ।" विनोद की बहन सुनंदा हंसकर कहती है।
विनोद कहता है "आप खूब जंच रही हो, इस बनारसी साड़ी में" .दोनों हंसने लगते हैं
विनोद अंदर घुसते ही हलवाई से लेकर , कमरे में बैठे मेहमानों से जाकर मिलता है एक अलग ही जिम्मेदारी व खुशी छलकती है उसके अंदर
"पापा ,पापा देखो कैसा लग रहा है? "
" बहुत सुंदर है ।" अपने बेटों को देखकर फूला नहीं समाता है विनोद,क्योंकि बहुत ही समझदार गुणवान बेटे हैं। सुनंदा विनोद भाई बहन हैं कोलेज में पढ़ते थे, दोनों को पढ़ने व घूमने का बहुत शौक था।पिता की तबीयत खराब होने की वजह से आए दिन वह कॉलेज नहीं जा पाता था ।मगर सुनंदा हमेशा कॉलेज जाती थी। दोनों भाई बहन से ज्यादा एक अच्छे दोस्त हैं जो एक दूसरे को हर बात बताते हैं। बेहद ही खूबसूरत गुणवान सुनंदा जिसे देखकर हर लड़का उसे चाहने लगता था। कोई ना चाह कर भी उसे देखे बिना ,तारीफ किए बिना नहीं रह सकता था उसकी खूबसूरती के कॉलेज में चर्चे थे कई लड़के दीवाने थे एक नहीं अनेक बर कई सिरफिरे को सबक सिखाया विनोद ने।,जो विनोद को जानते थे तो दूर से ही डर जाते थे। एक बार विनोद व्यवसाय के काम से कुछ दिनों के लिए बाहर गया इस बीच कॉलेज में एनुअल फंक्शन की तैयारियां चल रही थी सुनंदा ने डांस में भाग लिया था जिसके प्रैक्टिस के लिए सहेलियों के साथ कालेज जाती थी।
इस बीच एक लड़का पीछे पड़ गया कई बार बात करने की कोशिश की,सुनदा कोई भाव नहीं देती थी। कई दिनों तक ऐसा चलता रहा। एक दिन उसने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोककर कुछ कहना चाहता था, सुनंदा गुस्से में उसकी तरफ देखा। वह लड़का कहता है तुम मुझे अच्छी लगती हो मैं शादी करना चाहता हूं। सुनती है और कहती है "अपना चेहरा देखा है बंदर लगते हो" उसका मजाक उड़ाती हुई निकल जाती है ।उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह एक व्यक्ति क्या कर सकता है।
एनुअल प्रोग्राम के दिन विनोद सुनंदा साथ कॉलेज जाते हैं सुनंदा अपनी सहेलियों के साथ जल्दी वापस आ जाती है विनोद देर रात दोस्तों के साथ , तो वह चाहकर भी विनोद को उस सिरफिरे लड़के के बारे में कुछ नहीं बताती।
कुछ दिनों बाद लड़का परेशान करता है, किसी के हाथ लेटर तो कभी गिफ्ट भेजता है ।इन सब चीजों को नजरअंदाज करती रही, वह कई बार मिलने की कोशिश करता, बात करना चाहता था ।हर बार सुनंदा उसे अनदेखा करती। अब बात कुछ महीनों बाद दोस्तों के बीच उसकी इज्जत की हो गई "क्या कभी इतनी खूबसूरत लड़की तुझे मिलेगी?
धीरे-धीरे लडके का पागलपन बढ़ता गया कई बार छेड़ता परेशान करने लगा एक बार रास्ते में जा रही थी उसकी अजीबोगरीब हरकतें देखकर वह परेशान होने लगी और गुस्से में सुनंदा ने उसे थप्पड़ मार दिया जिसे लड़के ने दोस्तों ने भी देख लिया। कुछ दिनों तक सुनंदा को वह नजर ही नहीं आया फिर बाद में यह बात उसने अपने भाई विनोद को बताई,विनोद ने कहा तुम मुझे कहती, तुमने क्यों मारा? उसकी रिपोर्ट करा देते हैं विनोद ने कहा ,सुनंदा ने हंसकर बात को टाल दिया ।
घर में भी इस बात को समान रूप से लिया गया क्योंकि सुनंदा बहुत ही खूबसूरत थी इस तरह की बातें आए दिन होती रहती थी पापा सुनंदा की शादी जल्दी कराना चाहते थे मगर सुनंदा कहती थी पहले भाई की शादी हो मैं भाभी के साथ कुछ साल रहूं तो फिर मैं शादी करूंगी। घर वालों को भी लगा बेटी छोटी है बेटा बड़ा है क्यों ना पहले बेटे की शादी करें।
इन दोनों की पढ़ाई हो चुकी थी विनोद अपने पिता के काम संभालने लगा सुनंदा अपनी मां के कामों में मदद करती वह घर के पास के ही स्कूल में पढ़ाने जाती थी।उसे गरीब बच्चों की मदद करना और निस्वार्थ काम करना बहुत अच्छा लगता था। इस बीच विनोद के लिए सुनंदा ने एक गुणवान लड़की पसंद की जो विनोद और परिवार को भी पसंद आई और विनोद की शादी बड़ी धूमधाम से हुई। कुछ ही महीनों बाद सुनंदा की भी रिश्तों की बात होने लगी और एक व्यवसाई मित्र से उसकी सगाई हुई जो विनोद का बहुत अच्छा दोस्त था परिवार में काफी खुशियां थी क्योंकि अब नए मेहमान भी आने वाले थे। परिवार में भाभी के आने के बाद काम की व्यवस्था के साथ-साथ परिवार में खुशियां भी बढ़ गई थी। पूरा परिवार एक दिन मंदिर गया हुआ था और वही सिरफिरा आशिक वहां विनोद को नजर आया जो सुनंदा को एक लंबे समय से परेशान कर रहा था। सोचा क्यों ना इस बार ऍफ़ आई आर करा दी जाए और परिवार ने भी इस बात के लिए विनोद को बार-बार कहा। विनोद ए उस लड़के के खिलाफऍफ़ आई आर . करा दी। इस बात को जानकार लड़का और ज्यादा उत्तेजित हो गया वैसे तो वह गुंडा ही था मगर अब उसे प्यार से ज्यादा अपनी इज्जत पर बात महसूस होने लगी।
प्यार एक तरफा था या यूं कहें कि उसके अंदर एक पागलपन था उसे पुलिस डरा कर छोड़ देती है। इधर सुनंदा अपने स्कूल और घर के कामों में व्यस्त थी। एक बार सुनंदा स्कूल से लौट रही थी और विनोद अपनी गाड़ी से अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल जा रहा था वो रास्ते में दूर से ही उस पागल लड़के को देखता है हाथ में एक बोतल थी वह गाड़ी से उतरकर बड़ी तेजी से सुनंदा के पास दौड़ता है। इस बीच वह लड़का एसिड अटैक कर चुका होता है जो सुनंदा पर ना होकर विनोद के चेहरे पर हो जाता है। गाड़ी में बैठी भाभी चीखने चिल्लाने लगती है भीड़ जमा हो जाती है तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है एक तरफ विनोद अस्पताल में रहता है दूसरी तरफ उसकी पत्नी ।
एक तरफ खुशी का माहौल था दूसरी तरफ गम का क्योंकि मेहमानों के आने की खुशी तो थी मगर विनोद के साथ इस घटना ने सब को हिला दिया कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था सुनंदा को बहुत ज्यादा दुख होता है कुछ दिनों तक परिवार में अजीब ही माहौल सा रहता है समझ में नहीं आता खुशियां मनाई जाए या........
मगर विनोद की हिम्मत और प्यार से पूरा परिवार खुश था ।वह अपने बच्चों के आने की खुशी मनाता है अपने गम को भूल कर ,
सुनंदा बार-बार अपने आप को दोषी ठहराती और विनोद कहता है नहीं बहुत अच्छा हुआ कि तुम्हारे ऊपर एसिड अटैक नहीं हुआ और वह रोने लगती है कहती है ना जाने क्यों मुझे ईश्वर इतना खूबसूरत बनाया और वह कहता है तुम तो बहुत खुश नसीब हो ,सुंदर हो अब मैं तो नहीं रहा उसकी इस मजाक की आदत से भी हंसने लगती है धीरे-धीरे सब सामान्य होने लगा । पुलिस उस लड़के की तलाश करने लगती है मगर उसके पहले ही हो एक एक्सीडेंट में मर चुका होता है । सुनंदा का होने वाला पति बहुत ही नेक दिल इंसान था सुनंदा की शादी कुछ महीनों बाद बड़ी धूमधाम से होती है परिवार अपने गम को भुला कर आई खुशियों का ईश्वर को बार-बार धन्यवाद करता है ।
मगर सुनंदा विनोद के मन में एक दुख रहता ही है। सुनंदा को हमेशा लगा कि मेरे कारण भाई की हालत हुई और विनोद को इस बात का दुख था कि मुझे पहले ही कदम उठाना था।
सुनंदा की शादी उसी शहर में होती है और आए मेहमान भी अब बड़े होने लगे हैं। दो जुड़वां बच्चे घर में हर पल चहल पहल, विनोद जी चेहरे की हालत पर कई बार लोगों ने उसे दोषी ठहराया, जाने कैसी कहानियां बना दी मगर विनोद उसके परिवार भाभी ने कभी उसे कुछ भी ना कहा, सुनंदा को हमेशा एक अच्छे भाई का गर्व होता था ।
पिता की तबीयत कई दिनों से खराब होने की वजह से अस्पताल में भर्ती थे एक लंबे संघर्ष के बाद वह जीवन के अलविदा कह गए। मां पिता की सेवा में दिन रात लगी रहती थी ,मां का अकेलापन उन्हें खाने लगा था ।धीरे-धीरे मां की हालत बिगड़ने लगी और मां पिता की बरसी के दिन ही चल बसी।परिवार में ज्यादा लोह नहीं थे क्योंकि सबके एक एक बेटा और सुनंदा एक अकेली बहन थी। एसिड अटैक की घटना के बाद भाई ने महसूस किया ना जाने कई ऐसी लड़कियां होंगी जो इस संघर्ष को झेलती हुई जीवन खत्म कर देती हैं ।
एसिड अटैक की शिकार ज्यादातर लड़कियां ही होती हैं। ऐसे अटैक के बाद लड़कियों का आत्मविश्वास कम हो जाता है, परिवार उन्हें दोषी ठहराते हैं ,समाज उन पर लांछन लगाता है मगर वास्तव में ऐसा नहीं होना चाहिए इसलिए विनोद एनजीओ के माध्यम से हर शहर हर गांव में ऐसे लोगों की मदद करता था। यहां तक कि सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी लड़कियों को दिलाई जाती थी और यह बार-बार सचेत किया जाता था, आप कभी भी किसी बात पर लापरवाही ना करें क्योंकि न जाने कौन सी लापरवाही आपको एक बड़ी घटना का रूप ले ले। इस घटना के बाद कई लोगों ने सबक तो लिया विनोद और सुनंदा का जीवन कहीं ना कहीं बहुत प्रभावित हुआ। आज इस बात को कई साल हो गए हैं इतने कि आज बच्चों की शादियां है, भाई बच्चों की शादी में इतने व्यस्त हैं उन्हें देख कर खुशी हो रही है, अब हम बुड्ढे हो गए हैं और इन नौजवानों को देखकर खुश होते हैं। जीवन में कभी भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे किसी को आहत हो, प्यार कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता। प्यार वास्तव में तो एक समर्पण होता है एक एहसास होता है एक प्रेरणा का रूप होता है अगर वह नकारात्मक हो तो एक विकृति है जो समाज के लिए घातक है। बदलते समाज में बहुत कुछ लापता है मगर प्यार और एहसास आज भी जिंदा है। भाई सच ही कहता है प्यार का मतलब पाना नहीं त्यागना होता है, समर्पण भी होता है ।
