अनजान सफर के साथी

अनजान सफर के साथी

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बेटी मीठी को विदा करते माँ अनु उसे गले लगा जी भर कर रोई और समझाया-

"मीठी मेरी गुड़िया आज एक अनजान सफर की ओर तुम अपने हमराही के साथ जा रही हो जिसकी मंज़िल तुम्हारे प्यार, स्नेह और सहनशक्ति से निर्मित होगी।

अपनी संकल्पशक्ति को बनाये रखना, खुश रहना।"


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