Priyanka Gupta

Inspirational

4.4  

Priyanka Gupta

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अमीर भिखारन  day-11

अमीर भिखारन  day-11

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"अम्मा ,कोरोना है ;यहाँ क्यों घूम रही हो ? अपने घर जाओ । अभी कलेक्टर साहब आ गए तो तुम्हें पुलिस में दे देंगे । ",मेरे चैम्बर के बाहर बैठा ,चपरासी उस बुजुर्ग महिला से कह रहा था । अपने चैम्बर में प्रवेश करते हुए मेरे कानों में उसके शब्द पड़े और साथ ही मेरी नज़रें उस महिला पर भी पड़ी।

वह महिला मुझे कुछ जानी -पहचानी सी लगी । अपने चैम्बर में प्रवेश करते हुए ,मैं उन्हीं महिला के बारे में सोच रहा था । तब ही मुझे याद आया कि ,"इन बुजुर्ग महिला को तो मैंने कई बार सड़क पर भीख माँगते हुए देखा है । "

"कोरोना और लॉक डाउन के कारण उपजी परिस्थितियों के कारण इनको भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा होगा । वैसे सरकार अपनी तरफ से पूरे प्रयास का रही है कि निर्धन और मजदूरों की पूरी मदद की जाए । कुछ भामाशाह लोग भी अपनी तरफ से प्रयास कर रहे हैं । राशन सामग्री ,पका हुआ भोजन आदि वितरित किया जा रहा है । शायद यह बुजुर्ग महिला भी ऐसी ही कुछ मदद माँगने आयी होंगी । ",ऐसा विचार आते ही मैंने उन महिला को अपने चैम्बर में आने के लिए कहा । 

"बेटा ,मेरे पास 100 किलोग्राम चावल और कुछ साड़ियाँ हैं । वह मैं जरूरतमंदों की मदद के लिए देना चाहती हूँ । ",उन बुजुर्ग महिला ने कहा । 

उन बुजुर्ग महिला द्वारा मदद की इतनी छोटी सी पेशकश ने मुझे अभिभूत कर दिया था । अगर किसी के पास समंदर है और वह उसमें से एक लौटा पानी देता है ,तो कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। लेकिन अगर कोई अपने एक लौटे में से भी ,आधा लौटा पानी दे दे तो बहुत बड़ी बात है। भीख माँगकर अपने लिए दो वक़्त की रोटी जुटाने वाली उन बुजुर्ग महिला द्वारा मदद की पेशकश उनकी नेकनीयती की स्पष्ट परिचायक थी । 

फिर भी मानव स्वभाव और जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण मैंने उनसे पूछ ही लिया ,"अम्मा ,आप खुद तो भीख माँगती हो और दूसरों की मदद करने का विचार कैसे आया ?"

सुखमती के पति की मृत्यु के बाद सुखमती अपने जीवनयापन के लिए भीख मांगने पर मजबूर हो गयी थी।

"बेटा ,'जाके पैर न फाटे बिवाई ,वो न जाने पीर पराई ' ,दूसरे की पीड़ा वह कभी नहीं समझ सकता ,जो खुद कभी पीड़ा से न गुजरा हो। दर्द समझने के लिए दर्द को जीना पड़ता है।भूखे रहने की तकलीफ क्या होती है ;यह मैं अच्छे से जानती हूँ । कोई भूखा न रहे ;इसलिए मैंने पहले से ज्यादा भीख मांगकर लोगो तक खाना पहुंचाने की कोशिश मात्र की है। इस संकट और दुःख की घड़ी में हम सभी को एक दूसरे की मदद करनी होगी।","उन बुजुर्ग महिला ने कहा । 

"अम्मा ,लेकिन आप भीख क्यों माँगती हैं ?",मैंने पूछा । 

"बेटा ,इस उम्र में मुझे काम कौन देगा ?मजबूरी है ;इसलिए भीख माँगती हूँ । सारी ज़िन्दगी हाड़तोड़ मेहनत की ;लेकिन बुढ़ापे के लिए कुछ बचा नहीं पायी । अगर अकेली होती तो कैसे भी गुजर कर लेती ?",उनने पनीली आँखों से कहा । 

उनकी कहानी सुनने की इच्छा थी ;लेकिन अपने सवाल पर अब मैं खुद शर्मिंदा हो रहा था । इसलिए मैंने कहा ,"शुक्रिया ,अम्मा । आपकी मदद करने की इच्छा और भावना के लिए आप सभी के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं । "

लेकिन अब तक मेरे साथ सहज हो चुकी उन बुजुर्ग महिला ने कहना जारी रखा ,"बेटा ,एक ही बेटी थी ;उसकी बड़ी मुश्किल से शादी की थी । बेटी -दामाद दोनों ही अपने पीछे दो बच्चियों को छोड़कर एक दुर्घटना में मारे गए ।मैं तो कैसे भी जी लूँ ;लेकिन बच्चियों का तो पेट भरना पड़ेगा । बस इसलिए भीख माँगती हूँ और लोगों की ज़िल्लत सहती हूँ । "


"ठीक है अम्मा ,आपकी मदद के लिए एक बार फिर शुक्रिया । कभी कोई मदद चाहिए हो तो बताना । ",अपनी व्यस्तता के कारण मैंने उन बुजुर्ग महिला से विदा ली । 

"स्वयं भीख मांगकर गुजरा करने और अपनी दो दोहितियों का पालन पोषण करने वाली इस बुजुर्ग महिला ने निश्चय ही दूसरों की मदद करने के लिए दृढ़ निश्चय और समर्पण दिखाया है। जहाँ हम लोग हमेशा अपने पास संसाधनों की कमी का रोना रोते रहते हैं ,वही इनके द्वारा की गयी छोटी सी मदद इ नके उदार हृदय का खुलासा करती है। वह निर्धन भले ही हो ,लेकिन गरीब नहीं। क्यूंकि वह आज भी एक मानव है। मानव होने का अर्थ ही है कि मानव की तकलीफ को समझे। मानव सभ्य कहा जाता है,क्यूंकि वह दूसरों के दर्द को समझकर उसे दूर करने के प्रयास करता है। इन जैसे लोगों की वजह से ही मानवता आज भी जीवित है।",मैं फाइलों में अपनी नज़रें गढ़ाए हुए सोच रहा था । 


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