अलौकिक पहचान
अलौकिक पहचान
शुरूआत से शिक्षा दी गई माता-पिता द्वारा सीता-गीता को, चलीं उसी राह, मुश्किलों को पारकर नौकरी की मंज़िल पर पहुंचने तक कर दी गई सीता की शादी। बचपन था जहां बीता वह घर पराया हो ससुराल को अपना घर बनाने की मिली सीख को अपनाते हुए नौकरी, मायका, ससुराल और बच्चों की पालनहार बन सुख-दुख संग पति के साथ आगे बढ़ना ही जिम्मेदारी थी उसकी।
जीवन के संघर्षों में विकट परिस्थितियों ने उसे सोचने को मजबूर किया, जीने-मरने की कगार पर दो पाटों में बंटी ज़िंदगी, लेकिन अब मैं अपनी रूचि अनुसार हिंदी साहित्य-लेखन में अवश्य ही बनाऊंगी अलौकिक पहचान।
