Nitu Arya

Romance

3  

Nitu Arya

Romance

अजनबी चेहरा

अजनबी चेहरा

3 mins
210


आज राहुल पूरे दो साल के बाद अपने घर लौट रहा था। राहुल को पापा ने इंटर मीडियट पास होते ही मेडिकल की प्रेपरेशन के लिए दिल्ली भेज दिया था। राहुल भी घर से निश्चय करके निकला था, कि मेडिकल मे सिलेक्शन होने पर ही घर लौटूँगा ।

दो दिन पहले ही रिजल्ट आया जिसमें राहुल की दिन-

 रात की मेहनत रंग लाई और वो सिलेक्ट हो गया। 

फिर क्या था,आनन-फानन में में सेव की हुई पाॅकेट

मनी से सब के लिए कुछ सामान खरीदा और ट्रेन की रिजर्वेशन करा, खुशी से उछलता स्टेशन आ गया।


   ट्रेन आने अभी आधे घंटे बाकी है; तब तक पानी का बॉटल और बिस्कुट ले लूँ। राहुल जैसे ही मुड़ा ,एक लड़की से टकरा गया। इसी के साथ एक लम्बी सी फटकार की झड़ी बरसने लगी। बस वो लड़की बोले जा रही थी, और मैं तो बस आँखों में उलझ कर रह गया। 

मुझे तो कुछ सुनाई ही न दे रहा था। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें गुस्से और बड़ी हो गयी थी। पैर तक बुर्के में सिर्फ उसकी गुस्से वाली आँखें और कंधे पर लटकते बैग को पकड़े हाथ दिख रहें थे।

  एक आदमी की आवाज पर मैं सपने से बाहर आया। "क्या हुआ बहन जी ?" मैंने बहुत शालीनता कहा , "माफ करियेगा" । उसने गुस्से पर काबू कर कहा ,"अगली बार ध्यान दीजियेगा। "

मैं सामान ले अपनी सीट पर आकर बैठ गया। तकरीबन दो मिनट बाकी होगा ट्रेन छूटने में तभी बड़बड़ाती हुई वही लड़की मेरे सामने वाली सीट पर आकर अपने सामान रखने लगी। सीट पर बैठते ही मुझे देख वो थोड़ा शान्त हो गयी। जैसे अपने किये बर्ताव पर शर्मिंदा हो। 

थोड़ी ही देर में ट्रेन चल पड़ी। पता नहीं क्यों मेरा मन बार-बार बस उसे ही देखना चाह रहा था। थोड़ी-थोड़ी देर पर मेरी आँखें उसकी आँखों पर टिक जाती। कभी-कभी उसकी भी निगाहें मेरी तरफ घूरने लगती।  काफी समय बाद मैंने इस अमूक वार्तालाप को विराम लगाते हुए कहा, "आप कहाँ तक जा रही हैं "?

 " लखनऊ तक" उसने दो टूक में जवाब दिया। 


मैंने अपनी बिस्कुट का पैकेट उसकी तरफ बढ़ाते हुए, 

 "आप भी लीजिये "। एक बिस्कुट निकालते हुए," थैंक यू" ।

फिर हम दोनों एक- दूसरे के बारे में कुछ बातें की। बातों से पता चला कि वो एक लाॅ स्टूडेंट है, उसका नाम रिया है। वो रात में सफर कर रही है इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए बुर्का पहन रखी है। राहुल आपको गुस्सा नहीं आया जब मैं आपको इतना डाँट रही थी। मैंने भी अपने दिल की बात कहने में देर न की, "डाँट पर ध्यान किसका था सारा अटेंशन तो आपकी आँखों पर था।"  ये सुनकर वो थोड़ा शर्मा कर अपनी पलकें नीचे झुका ली। 

बातों ही बातों में रात के लगभग बारह बजने को हो गये,हमने एक दूसरे को गुड नइट बोला और सीट पर लेट गये। लेकिन आज नींद मेरी आँखों से काफी दूर था। मैं उसे पूरी रात जी भर के निहारना चाहता था, लेकिन मैं उसे बेपरदा होने को कैसे कहता। उसकी बन्द पलकों में मानों मेरी दुनिया बन्द हो गयी हो। ये पूरी रात मैं उसको निहारता रहा। पता नहीं कब मुझे नींद आ गयी। "चाय पी लो गरम-गरम चाय "। इन शब्दों ने झकझोर कर जगाया। मैं बस सामने उसे देखना चाहता था लेकिन वह नहीं है। मैं दौड़ कर गेट पर फिर स्टेशन पर हर जगह ढूंढा, लेकिन शायद वह जा चुकी है। 

मैं अन्तिम बार उसकी आँखों में आँखें डालकर प्यार से फिर मिलने के वादे के साथ अलविदा कहना चाहता था।


बुझे मन से अपनी सीट पर आकर बैठ गया और जब अपना बैग उठाया तो उसके नीचे एक कागज मिला।

जिस पर लिखा था, "आप मेरे दिल पर दस्तक देने वाले पहले शख्स हैं मैं आपको पूरे जीवन भर अपने मन में बसा कर रखूँगी। माफ करियेगा आपको नींद से जगाने की मुझमें साहस नहीं है इसलिए कागज का सहारा लिया। "

     आप हमेशा मुस्कराते रहिये ,

         अलविदा ,आपका अपना

                अजनबी चेहरा 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance