STORYMIRROR

Nitu Arya

Others

3  

Nitu Arya

Others

नवा

नवा

2 mins
2

बात उस समय की है जब हम छोटे थे।

जब खेतों में गेहूं, सरसों, मटर की फसल में फूल से अनाज बनने की प्रक्रिया शुरू हो रही होती। इस खुशी के पल को गांव में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था। एक शुभ तिथि का निर्धारण किया जाता और सप्ताह भर पहले से घर के छोटे-बड़े सभी सदस्य अपनी क्षमता के अनुसार काम का बीड़ा उठा लेते। पूरे घर के कोने -अतरे की सफाई की जाती।

इस पर्व के पकवान में उरद की दाल, चावल, दो-तीन प्रकार की सब्जी, पकौड़ी, दाल की पूरी, सुहारी, और अनिवार्य व्यंजन के रूप में -बरा और पना बनाया जाता।

  बरा उड़द की दाल को भीगा कर‌ जैसे आजकल "दही -बड़े" के "बड़े" बनते हैं, वैसे बनता और सबसे स्वादिष्ट "पना" जो चावल के आटे में इमली के गूंदें, गुड़ और कुछ मां के हाथ के सीक्रेट मसाले के साथ बनाया जाता।

सबसे मजेदार बात यह होती कि हम बच्चों के कंधों पर पेड़ से इमली तोड़ कर लाने की जिम्मेदारी रहती,, और हम किसी चाचा, भइया की ताक में रहते कोई तोड़ेगा तो हम भी लपक लेंगे।

फिर सारे पकवान तैयार होने के पश्चात बाबा द्वारा लायी गई नये अनाज को गुड़ और दही में मिलाकर सभी व्यंजन में डाला जाता और बड़े पवित्र भाव से पहला भोजन घर के देवता को अर्पित किया जाता, फिर हम सब ग्रहण करते।

खैर भोजन -पानी तो हो गया अब बचता बड़ों का आशीर्वाद!अब इसमें हम कहां पीछे रहने वाले सभी लोग टोली बनाकर निकल पड़ते गांव में आंधी रात बीत जाती बड़ों का आशीष और छोटों को प्यार देने में। 

इस तरह हमारे गांव में फसल की पूजा और आपसी सौहार्द का बहुत बढ़िया जरिया ये त्यौहार था।

क्या आप इस त्योहार से परिचित हैं? जरूर परिचित होंगे क्योंकि हमारे देश के हर राज्य में किसी न किसी रूप में यह त्योहार मनाया जाता है।


Rate this content
Log in