ऐसा क्यों ..?
ऐसा क्यों ..?
तुम्हें कितनी बार और किस तरह से समझाऊँ , तुम समझते क्यों नहीं ! अरे बच्चे तुम्हारे १२ वी की परीक्षा है , वो भी दस दिन बाद ही और तुम हो कि हर वक्त खेलने कूदने मे लगे रहते हो ,इसी पर तो तुम्हारा भविष्य टिका है । तुम्हारा मन पढ़ाई के बजाय इधर-उधर मटरगस्ती करने मे ही लगा रहता है। पढ़ाई कब करोगे ? अरे बाबा पढ़ाई मे ध्यान दो । बस जब तब खेलना या टी वी देखना ,या दोस्तों के साथ गप्पे मारना भटकना ,टाइम वेस्ट करते रहते हो । ऐसे कैसे चलेगा …. समझने की कोशिश करो सनी …. पढ़ाई पर ध्यान दो , प्लीज राजा़ ।
मम्मा , आप हर वक्त मेरे ही पीछे पड़े रहते हो क्यों ? सायली भी तो मेर साथ ही पढ़ती है उसे तो कुछ नहीं कहते बस मुझे ही… वो तो कभी जरा भी पढ़ाई नही करती फिर भी …वो पढ़े क्या …आप तो उसे पढ़ने ही नहीं देते । जब भी पढ़ने बैठती है तो आप बोलते हो , ये कर वो कर तो कभी कहते हो .. क्या हर वक्त किताब लेकर बैठ जाती हो । घर का काम करो सीखो…इसी मे तेरी भलाई है । कल को पराये घर जाएगी वहाँ पढ़ाई काम नहीं आएगी । काम आएगा घर का काम......नहीं तो सास ताने देगी कि माँ ने कुछ नहीं सिखाया । अरे बेटा ,लड़की कितनी भी पढ़ ले पर सँभालना तो चूल्हा ,चौका ही ना ! चल छोड़ किताब और बिखरा पड़ा किचिन समेट ले , मेरे लिए चाय बना ला ये बिखरे पड़े कपड़े प्रेस कर लो , पापा के लिए खाना गर्म कर दो , ऐसे जाने कितने काम करने को बोलते रहते हो ।तो भला पढ़ाई कब करेगी ? फिर भी वो मुझसे अच्छे मार्क्स लाती है । मम्मा , अगर उसे पढ़ने का टाइम और प्रोत्साहन मिले तो वो बोर्ड मे फर्स्ट आ सकती है ।
अरे बुद्धू , तू इतना बड़ा हो गया ….कब समझेगा ! देखो लड़का ,लड़का होता है और लड़की ,लड़की …फिर इन दोनों का सब अलग -अलग ही तो है । लड़की को शादी करके ससुराल ही तो जाना होता है ।पर लड़के की तो पूरी जिन्दगी उसकी पढ़ाई पर निर्भर करती है । बच्चे ,तभी तो तुझे बार-बार पढ़ने के लिए कहती हूँ पर तुझे लगता है मम्मा तुझे बेकार ही परेशान करती रहती है ,है ना … ? फर्क तो लड़के लड़की मे है ही ,वो तो कुदरत ने ही किया है तो यह तो होना ही है ।पर तू समझता ही नहीं ।
मम्मा आप टीचर होकर भी ऐसी बातें करते हो ! अभी भी लड़के लड़की के हिसाब - किताब मे लगे हो । वैसे तो मम्मा , लोगों के सामने तो बड़ी -बड़ी लच्छेदार और लड़के लड़की की समानता की बाते करते हो और अपने बेटे बेटी को लेकर ऐसी बातें करते हो ।
चुप कर इस तरह मुझसे जबान न लड़ा ।यह फर्क मैंने अपनी तरफ से थोड़े ही ना किया है …. यह तो सदियों से चला आ रहा है । फिर कुदरत ने ही तो औरत मर्द मे फर्क किया है तो हम जैसे इन्सानो की क्या बिसात ! देखो ना दोनों की शारीरिक रचना मे भी कितना फर्क है , आकार - प्रकार , ताकत और लचीलापन दोनों मे अलग प्रकार का है यहाँ तक की मानसिक बनावट मे भी अन्तर है ।
पर मम्मा , मोरल साँइस व जनरल साँइस मे यही बताया और समझाया है कि अपनी -अपनी मानसिक और शारीरिक बनावट के कारण ही स्त्री - पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं । आप भी तो पापा से यही सब कहते हो ! तो फिर … ?
क्या तो फिर ….. ?
अरे , वो सब तो किताबी बातें हैं ।किताबी बातें हैं तो फिर पढ़ाई क्यों जाती है।जब जिन्दगी मे उन पर अमल ही नहीं करना ,तो क्यों …?
सनी , तुम बहस बहुत करते हो … जैसा कहा है वैसे कर … फिजूल की बातें मत कर बेकार ही मेरा दिमाग खराब करते हो … बस …अब चुपचाप पढ़ो ……जब देखो तब ……
मम्मा ,जो समझाना हो ,बताना हो तो आप गुस्सा बहुत करते हो … क्यों ?
हाँ मम्मा , यह तो मुझे भी जानना है यह भेदभाव क्यों ? जब भैया और मुझे कुदरत ने एक साथ एक ही कोख मे नौ महीने रखा ,जन्म दिया तो इन्सान खास कर बड़े लोग इस तरह लड़के लड़की मे यूं भेदभाव क्यों करते हैं ? ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । जब स्त्री नही ,तो स्रष्टि का निर्माण नही औऱ विकास भी नहीं । वो है तो यह दुनिया है। वरना ये दुनिया … न होती न रहती और अकेली स्त्री भी निर्माण नहीं कर सकती। जब तक स्त्री रुपी धरती को पुरूष रूपी बीज का सहयोग न मिले । दोनों के संयोग से सब होता है ।दोनों एक दूसरे कै पूरक हैं तो फिर क्यों मम्मा ? आप तो पढ़े लिखे हैं सब समझते हैं सबको शिक्षा देते हैं और आप ही इन सबसे कोसों दूर हैं । मम्मा ,मैं अब बच्चा नहीं हूँ ।आप बड़े लोग कब ये दोगली नीति छोड़ेंगे ! ओ… नो मुझे आप पर कितना प्राउड था… लेकिन …
लेकिन क्या ? क्या अब प्राउड नहीं रहा ?
ऐसी बात नहीं है …
तो फिर कैसी बात है ?
तुम अपनी मम्मा से ऐसे बात करते हो ?
मम्मा ,आपकी इस सोच ने मुझे बहुत हर्ट किया है … आपको अपने आप को बदलना चाहिए मम्मा , ये लड़का लड़की क्या …. हम दोनों ही तो आपके बच्चे हैं फिर… ?
ठीक है ….. आज के बाद तुझे हर्ट नहीं होगा और ना ही अपनी मम्मा से शिकायत रहेगी । तुम दोनों बहन,भाई मेरी दो आँखें हो । मेरी जिन्दगी हो ,मेरा वजूद हो । तुम दोनों मेरी जिन्दगी की बहुत बड़ी उपलब्धि हो । तुम ने दोनों मुझे माँ बनाया , माँ कहलाने का हक दिया । बच्चों मैं ही बहक गई थी लोगों की सोच के साथ । मैं रास्ता भटक गई थी ,मेरे बच्चे , तुमने मुझे बहकने भटकने से और इस भेदभाव की पगडंडी पर चलने बचा लिया । आओ बच्चों ,आओ अपनी मम्मा को माफ कर दो ।आओ मेरे गले से लग जाओ ,मैं तुम दोनों से बहुत प्यार करती हूँ । आज तुमने मुझे बहुत गहराई से अहसास कराया, सच मे मुझे तुम पर गर्व है ।