अधूरे ख्वाब
अधूरे ख्वाब
कहानी तो शुरू दो साल पहले हुई थी, पर आज यूँ अन्त हो जाएगा, कभी सोंचा भी नहीं था।
मुझे नोक झोंक और हल्के फुल्के प्यार और तकरार भरे जीवन से जुड़े किस्से वैसे भी बहुत लुभाते हैं।
पर ये किस्सा बस दो पल को बूंँद सा ढुलक कल बह गया....
चलते हैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में, जहां कानपुर से आयी रागिनी को किराये के एक फ्लैट की तलाश थी।
कानपुर से ए आधुनिक माहौल में पढ़ी-लिखी रागिनी को इस छोटे से कस्बे में कोई ढंग का कमरा ढूंँढते ढूंँढते पूरा हफ्ता निकल गया।
आखिर एक इण्टर कालेज के सेवानिवृत्त शिक्षक के घर कुछ ढंग का कमरा मिला।
जहाँ वे अपनी पत्नी और इकलौते बेटे निशीथ के साथ रहते थे।
बेटे की शादी के रिश्ते आते थे, लेकिन उसकी भी अभी - अभी शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी।तो हर महत्वाकांँक्षी मांँ- बाप की तरह सर्वगुण सम्पन्न लड़की की तलाश जारी थी।
फिलहाल लड़का काफी स्मार्ट, हैंडसम और खुशमिजाज व्यक्तित्व का था।और दोस्तों के साथ ज़िन्दगी को जिन्दादिली से जीने में यकीन रखता था।
इकलौती सन्तान था, इसलिए माँ बाप की परवाह बहुत थी।
रागिनी को देख निशीथ खुद पर से काबू ही खो चुका था।

