शारदे वन्दना
शारदे वन्दना
वाणी की देवी हो,
माते तेरा वन्दन।
तुम स्वर की हो प्रतिमा।
तेरे चरणों में नमन।।
वाणी की देवी हो……
ये मन के जो ताले हैं,
इन पर अभी जाले हैं।
तुम ज्ञान-प्रकाश भरो,
माँ तुमसे उजाले हैं।।
ये कहता है जन-जन।
तेरे चरणों में…
पूजा की थाली में,
दीपक है भावों का।
हैं फूल भी श्रद्धा के,
है नीर इन नयनों का।
अज्ञान हरो माता,
मन ज्ञान से तुम भर दो।।
वाणी की देवी हो…
पुस्तक कर में सोहे,
कर दूजे में वीणा।
माँ वेद-पुराणों में,
वर्णित तेरी महिमा।
वागेश्वरी, ब्रम्हसुता,
कहलाती महाश्वेता।
अज्ञान तिमिर हर लो,
जग आलोकित कर दो।।
तुम श्वेत वसन धारी,
माँ हंसवासिनी हो।
हम बालक सब तेरे,
हमें विद्या, बुद्धि, बल दो।।
वाणी की देवी हो…
माँ करूणा की सागर,
इतना उपकार करो।
भारत के जन-जन में,
बस ज्ञान-प्रकाश भरो।
हर लो अज्ञान ओ माँ!
