STORYMIRROR

Shikha Verma

Tragedy

4  

Shikha Verma

Tragedy

भूख

भूख

2 mins
276

"आफिस में साथ काम करने वाले उन दोनों दोस्तों ने मिलकर आज न्यू ईयर पार्टी की थी।कई और दोस्तों को भी बुलाया। तमाम स्वादिष्ट व्यंजन।बड़ा सा केक काटकर रात भर नाचते गाते रहे।कुछ खाया और ज्यादा कचरे में भरकर सुबह सड़क पर रखे कूड़ेदान में फेंकने के लिए रख दिया।कचरा बीनने वाले दो छोटे बच्चे ,जिनके शरीर पर कपड़ों के नाम पर सिर्फ एक मैली सी शर्ट और कई छेदों वाले जर्जर पाजामे....।पैरों की चाल से साफ बयां हो रहा कि कुछ चुभने का डर उनमें नही था।बेझिझक उन झाड़ियों में काम की चीजें ढू़ढ़कर निकालते और अपनी बोरी में भरते जाते।कुहरे को चीरते हुए दोनों निडर योद्धा की भांति आगे बढ़ते जाते।आज खाने की कोई भी चीज नही मिली...।भूख से जान सूख रही थी।कुछ खाने को मिल जाय,इसी आशा में कचरे से उम्मीदें चुनते - चुनते पूरी और कचौड़ियों का बंधा हुआ पुलिन्दा लिए आता कोई दिखा।उन दोनों को लगा कि वह व्यक्ति वो पुलिन्दा उन्हें देने आ रहा है...पर नही।वह तो सड़क पर रखे कूड़ेदान की तरफ बढ़ रहा था।

ललचाई भूखी बेचैन आँखों ने एक दूसरे को इशारा किया....।वो और दोनों के हाथ बरबस ही उस व्यक्ति के सामने फैल गये...स्वादिष्ट पूरियां और कचौड़ी पर दोनो तुरंत टूट पड़े।न जाने कब से भूखी दो आत्मायें असीम तृप्ति पाकर अपने आस पास को भूल गई।दोनों कोकुछ असमंजस और कुछ ग्लानि की स्थिति में खड़ा वह व्यक्ति न जाने क्या सोंच रहा था!विलासिता से कोसों दूर रहने वाली इस वास्तविकता ने,उन दो छोटे बच्चों ने बिना कुछ कहे उसे जीवन की सच्चाई से रुबरू करा दिया।किसे ज्यादा सुख मिला?भूख के भी कितने रंग हैं? रात हुई उसकी पार्टी और इन दोनों बच्चों की पार्टी.....!



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy