आज़ादी की हवा (डे -27 आज़ादी )
आज़ादी की हवा (डे -27 आज़ादी )
"मम्मा इतने रूपये में तो नयी चप्पल आ जाती ;आपको पता नहीं क्या रिपेयर करवाने की पड़ी थी ?",मीठी ने अपनी मम्मी को कहा।
"बेटा ,इससे जूते -चप्पल मरम्मत करने वाले मज़दूर की कुछ मदद होगी ",मम्मी ने कहा।
"आप उसे रूपये दान दे देती। ",मीठी ने कहा।
"काम के बदले पैसा देने से हम दोनों आज़ादी की हवा में साँस ले सकेंगे। मुझे दान देने के अहंकार से और उसे आत्मसम्मान का त्याग करने से आज़ादी मिलेगी. "मम्मी ने कहा।
