आश्वस्त
आश्वस्त
"पियारे रमेस के पापा,
पांव लगत हैं,
हियाँ सबही ठीक है, बाऊजी की दमा की दवा खतम हुई रही, अब हियाँ गाम मे तो मिलत नाहीं, सहर से ही लावी पड़े है, पर गाम मां लाकडाउन बजत रहा है, बड़े परेसान थे लेकिन भला हो ऊ पुलिसबाले का, वा ने बुलवा दी सहर से, अब थमे कछु फिकर ना करिहों, बाकी सब ठीक है, थम डटे रहो सीमा पर, हियाँ की कछु फिकर मति करिहों।
थमरी
सारदा
"भगवान तुमारी भली करे"भरी आँखों से सूरज ने टॉर्च की रोशनी में घरवाली का पत्र पढकर उस पुलिस वाले को मन ही मन धन्यवाद किया।
"हम जानत हैं सारदा, ऊहाँ हमरी पुलिस मुस्तैदी से अपना फरज निभाती है, तभी तो हम हियाँ घरवालों की फिकिर के बिना देस की सीमा पर चारों पहर डटे रहतें हैं"
"क्या बोला रे,कोई परेशानी है क्या" अचानक दूसरा जवान बोला।
"कौनो परेसानी नाहीं रे, सबई दुरुस्त है, निसाना साधे रहो"