Madhu Vashishta

Action Inspirational

3  

Madhu Vashishta

Action Inspirational

आप माताजी की बहू हो ना?

आप माताजी की बहू हो ना?

4 mins
222


संध्या मोबाइल खोने के कारण बेहद परेशान थी। अब मार्केट से बाहर इतनी दूर तक आ गई लेकिन मोबाइल गिर गया है या किसी ने चुरा लिया पता नहीं। बैंगलोर जैसी जगह में बिना मोबाइल के ऑटो और टैक्सी मिलना भी मुश्किल काम था। तभी एक कार संध्या के पास आकर रुकी उसमें बैठी एक महिला ने कहा आइए आप मेरे साथ घर चलिए आप माता जी की बहू हैं ना? संध्या हैरानी से उन लोगों को देख रही थी ।तभी वह बोलीं अरे हम भी अलका एंक्लेव में ही रहते हैं आप की सासू मां मालती जी के पास में जब आप आई हुई थी तो हमने आपको वहीं देखा था। आप घर ही जा रही हैं तो बैठ जाइए। संध्या को वह जानी पहचानी तो लगी इसलिए वह भी उनके साथ गाड़ी में ही बैठ गई। हमारे बैंक की भी अभी छुट्टी हुई है सिर्फ आप की सासू मां के कारण हम निश्चिंत होकर बैंक में जा पाते हैं। मेरा बच्चा तो उन्हें दादी ही समझता है, उनमें से बैठी एक महिला बोली।


संध्या हैरान थी और वह पुरानी यादों में खो गई। उसकी सासू मां भावना जी दिल्ली में रहती थी और गगन शादी के कुछ समय बाद ही बेंगलुरु में शिफ्ट हो गया था। अपने दोनों जुड़वां बच्चों के समय संध्या दिल्ली भावना जी के पास तो गई थी। उसके बाद उसका अपने ससुराल में एक मेहमान की तरह ही आना जाना रहता था। अब उसके दोनों बच्चे 12वीं पास करके हैदराबाद के ही एक कॉलेज में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे थे।


ससुर जी दिल्ली सरकार में ही नौकरी करते थे इसलिए वह लोग कभी भी बैंगलोर आकर सदा के लिए रह नहीं सकते थे। वैसे वो लोग भी आते जाते रहते थे। सासु मां का दिल्ली में बहुत बड़ा घर था। रिटायरमेंट के बाद भी भावना जी अपना घर छोड़कर बैंगलोर मैं रहना पसंद नहीं करती थीं।


पिछले साल ससुर जी की हार्टअटैक के कारण जब मृत्यु हो गई तो गगन ने मां को अकेला छोड़ना ठीक नहीं समझा और कुछ सामान एक कमरे में रख कर और घर को किराए पर देकर वह अपनी मम्मी भावना जी को अपने घर ले आया। ना ना करते करते हुए बहुत सा सामान जरूरी कहकर भावना जी अपने साथ ही ले आई थी। गगन के बैंगलोर के उन 3 कमरों के फ्लैट में और भी सामान आने से अब संध्या को अपना घर बहुत भरा भरा सा लगता था। यूं भी उसने अपने फ्लैट का बहुत अच्छा इंटीरियर करवाया था।


भावना जी को बंगलुरु के उस फ्लैट में खाली बैठे रहना बहुत अखरता था। घर का काम करने के लिए एक सहायिका भी आती थी और बाकी संध्या को बिल्कुल पसंद नहीं था कि माताजी उसकी रसोई में बिना वजह छेड़छाड़ करें। वैसे भी वहां पर हर तरह के आधुनिक उपकरण थे जो कि भावना जी को चलाने भी नहीं आते थे।


संध्या उन्हें समय पर खाना बनाकर दे देती थी तो अब भावना जी को जिंदगी बिना काम के और बिना किसी से मिले बहुत नीरस लग रही थी।

माताजी ने एक दिन कॉलोनी में नीचे घूमने जाने की सोची। संध्या को उन्हें अकेले भेजने में बहुत डर लग रहा था कि कहीं वह रास्ता ना भूल जाए और वहां पर लोगों को इतनी अच्छी हिंदी आती भी नहीं थी। लेकिन वह माता जी को रोक नहीं पाई। माताजी थोड़ी ही दूर पार्क में अकेले बैठी रही और रोजाना जाने लगी। दो-तीन दिन में उनके पास एक हिंदी भाषी औरत ही अपने बच्चे को लेकर उनसे बात करने आने लगी। माताजी ने उसके बच्चे को रोते देख कर कुछ घरेलू उपचार बच्चे के लिए बताए थे। उसने माताजी को बताया कि वह बैंक में नौकरी करती है और अब इस बच्चे के कारण ज्वाइन नहीं कर पा रही है। क्योंकि वह भी उसी कॉलोनी में रहती थी इसलिए माताजी ने उसके बच्चे को रखने की पेशकश कर दी। उसके हां कहने पर माताजी ने उन्हीं फ्लैट्स में दो कमरे नीचे अलग किराए पर ले लिये जिसमें कि वह उस जैसी नौकरीपेशा महिलाओं के बच्चों को खिलाने लगी। धीरे-धीरे आसपास की हिंदी भाषी महिलाएं भी उनके पास आकर बैठने लगी और बच्चों से खेलती रहती थी। हालांकि उन्हें बच्चों को रखने के लिए पैसे भी मिलते थे लेकिन उन्हें पैसों से ज्यादा बच्चों का साथ पसंद था सब बच्चे उन्हें दादी कहते थे।


क्योंकि माताजी ने नीचे ही अपना गैस स्टोव और सिलाई की मशीन भी रखी थी तो उनके पास आने वाली और भी महिलाएं अपने बहुत से कपड़े बातें करते हुए सिल भी लेती थी और जरूरतमंदों को सिलाई सिखा भी देती थी। भावना जी का मन अब बैंगलोर में भी लग रहा था और अब वह अपनी कॉलोनी में भी काफी जानी-मानी व्यक्तित्व बन चुकी थी। आज रह-रहकर संध्या को अपनी कही बात याद आ रही थी जब उसने गगन को कहा था कि माता जी अगर बाहर कहीं खो गई तो लोग क्या कहेंगे संध्या अपनी सासू मां का ख्याल नहीं रखती क्या? यहां इन्हें कौन जाने भला, सब कोई तो मुझे कहेंगे ना! लेकिन आज------ यहां भी सब मुझे माता जी की बहू कह कर पूछ रहे हैं। तभी उनकी कॉलोनी आ गई और संध्या ने नीचे कमरे में माता जी के साथ बैठे सब सहेलियों के सामने मन से माताजी को चरण स्पर्श करा।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action