Shailaja Bhattad

Inspirational

5.0  

Shailaja Bhattad

Inspirational

आप क्या सोचते हैं

आप क्या सोचते हैं

3 mins
2.6K


रोज सुबह जब व्हाट्सप खोलती हूँ तो कोई न कोई ऐसा संदेश सबसे पहले दिखता है जो मन को शांति देने वाला होता है और कोई न कोई सीख देकर पूरे दिन को खुशियों से भर देता है लेकिन आज की सुबह बाकी सुबहों से कुछ अलग थी और संदेश चौंकाने वाला।

लिखा था- जब दूसरे धर्म के लोग हमारे धर्म के त्योहारों पर हमें विश नहीं करते तो फिर हम लोग क्यों उनके त्योहारों पर उन्हे विश करें।

इतनी संकीर्ण विचारधारा को पढ़कर मन मायूस हो उठा और लगा मानों धमनियों का रक्त ही थम गया हो। ऐसे विचार ही अशांति के लिए उत्तरदायी होते हैं। पहले धर्मों के बीच फूट, फिर धर्म के अंदर फूट फिर घर के अंदर फूट और अंततः अतरद्वंद स्वयं से लड़ाई, क्योंकि मन अशांत है और जब व्यक्ति जिस पथ पर चलने लगता है वही उसकी आदत बन जाता है। जब विचारों में गहराई नहीं होती और मन शांत नहीं होता तब मनुष्य सिर्फ लड़ाई झगड़े व दंगे फसाद के लिए ही प्रेरित रहता है। अगर यही संदेश कुछ इस तरह होता कि "हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि सभी धर्मों का मूल शांति और सौहार्द्र है। हमें दूसरे धर्मों के त्योहार उतने ही उत्साह से मनाने चाहिए जितने हम अपने मनाते हैं क्योंकि जीवन का प्रथम और अंतिम सत्य सुख शांति और आनंद का संचार करना ही है।"

तो शायद मेरी धमनियों में रक्त का एक नया ही प्रवाह होता। उन महाशय का संदेश पढ़ने के बाद आँखों के सामने सिर्फ़ एक ही चित्र था कि जैसे चार अलग धर्म के आमने सामने चार घर हैं जब एक घर में त्यौहार मन रहा है, घर दीयों से सज रहा है तब बाकी तीन घरों में सामान्य जीवन चल रहा है। वहीं जब दूसरे घर में त्यौहार तब बाकी तीन घरों में सामान्य जीवन। कितना नीरस होगा यह दृश्य। वहीं अगर चारों घरों में खुशियाँ मनाई जाए तो आनंद चौगुना हो जाएगा और व्यक्ति सुख की नींद सो पाएगा। हिम्मत जुटाकर मैंने अपना यह संदेश व्हाट्सप पर पोस्ट किया।

बहुत से सकारात्मक जवाब आए और उन महाशय का माफी संदेश भी। पढ़कर सुखद आनंद की अनुभूति हुई कि सबकी सोच मेरी जैसी ही है। क्योंकि संदेश पढ़कर तो मन घबरा सा गया था कि क्या अब हम मेरी क्रिसमस की खुशियों में शरीक नहीं हो पाएंगे, हर साल जो हम ईदी लेते हैं अब न ले पाएंगे, क्या गुरुद्वारे में जाकर अरदास नहीं कर पाएंगे, क्या सभी हमारे साथ होली नहीं खेल पाएंगे, दीए नहीं जला पाएंगे।

पर दूसरे ही क्षण अंतर्मन से आवाज आई यह तो संभव नहीं, वही होगा जो हर साल होता है बल्कि इस साल और भी अधिक धूमधाम से होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational