आप क्या करते ?

आप क्या करते ?

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ये दुनिया और मैं, बड़ा अजीब रिश्ता है हम दोनों में ! एक ऐसा रिश्ता होने के बावजूद समझ में ही नहीं आया अब तक आखिर ये है क्या ? और है कहां ? चारों तरफ नजर दौड़ाती हूं तो सब दौड़ता हुआ नजर आता है और नज़र को रोक देती हूं तो सब रुक जाता है तब मेरी नज़रों में एक अनजानी-सी हलचल मच जाती है। इसे समझने की भरसक कोशिश करती हूं लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी कहां समझ पाती हूं। हां इतना जरूर है कि कभी तो ये दुनिया मुट्ठी में समा जाती है तो कभी नज़रों में भी नहीं समाती। बड़ा अजीब-सा धर्मसंकट है तो बेखुदी भरी खलिश भी है।

ओ - ओ मॅडम फिलोस्फर, तुम्हारी ये ऊटपटांग बातें अपने पले नहीं पड़ रही है पता नहीं तुम्हारे दिमाग का कौन-सा पुर्जा ढीला है ? भगवान ही जाने ! हे भगवान, मुझे ऐसी सहेली क्यों दी जो कुछ समझती ही नहीं भला यह भी कोई बात हुई - दुनिया मुट्ठी में समा जाती है, नज़रों में नहीं समाती वगैरह-वगैरह आप ही भगवान जी इसे बुद्धि दीजिए ताकि यह बे सिर - पैर की बातें न करे। ऐसे तो यह पागल हो जायेगी बचालो प्रभु, बचालो नहीं तो मैं इस दुनिया में अकेली पड़ जाऊंगी।

ऐ ऐ ,,, किसको बचाना है ? कौन बीमार है या किसी को पुलिस ने पकड़ लिया है ? 

किसको क्या, तुझे ही बचाना है ! पागलों की तरह तो तुम बातें कर रही हो। पता है तू क्या-क्या बके जा रही थी लोग सुनते तो हंसते और तुम हो कि कुछ भी बोल रही हो ! इतनी पढ़-लिख ली फिर भी अक्ल नहीं। तौबा भगवान जी तौबा-तौबा थोड़ी अक्ल दे दो इसे।

मुझे तो भगवान जी अक्ल दे ही देंगे पर मेरी जान, तेरा क्या होगा ? बिना सोचे-समझे कुछ भी बोलती है, अरे मेरी मां मैं अपने नाटक के डायलॉग याद कर रही थी और तू पता नहीं क्या - क्या सोच बैठी,,,, चाचीजी सही कहती हैं, तुम्हारे ऊपर का चेंबर तो एकदम खाली ही है। चल, फिर भी मुझे खुशी है कि तुझे मेरी चिंता है, तू मुझे प्यार भी करती है।

जा ना मैं तेरी सहेली हूं, ना ही मुझे तेरी चिंता है ना ही तुझे प्यार करती हूं अनपढ़ हूं ना मैं क्या जानूं पढ़े-लिखों की समझदारी और क्या जानूं, कहां,कब, कैसे और क्या बात करनी चाहिए ! 

अरे - अरे कमला , नाराज़ क्यों होती है तू तो मेरी जान है, मेरे जिगर का टुकड़ा है, तुझसे कुछ कहने का कोई हक नहीं रखती ? पगली , तेरा कोई मज़ाक बनाये या तुझपे हंसे क्या मुझे अच्छा लगेगा ? और फिर तुझे भी तो खराब लगेगा फिर तू मुझसे झगड़ा करेगी, मुझे ब्लेम भी करेगी कि मैंने तुम्हें कुछ बताया क्यों नहीं, मेरी मां, चल अब गुस्सा थूक दे और अपने हाथों से चाय बनाकर पिला, नहीं, चाय रहने दें, आज काॅफी बना दे, बहुत दिनों से नहीं पी है, तेरी इन बड़ी-बड़ी खूबसूरत आंखों में आसूं अच्छे नहीं लगते।

रेणु, सच बताना, क्या ऐसे गलत-सलत बोलती हूं कि लोग मुझपर हंसेंगे ? 

नहीं रे वो जानकी है ना तुम्हें तो पता ही है उसका स्वभाव और उसकी आदत भी तो पूछो ही मत,,, कल देखा नहीं, कैसे केसर का मज़ाक बना रही थी कि उसको कपड़े पहनने का और मैचिंग वगैरह का भी कोई सेंस नहीं और भी ना जाने क्या - क्या, किस - किस के लिए कुछ न कुछ बोल ही रही थी बाकी सब उसकी बातों में रस ले ले कर हंस रही थी। मैं नहीं चाहती कि पीठ पीछे तुम पर भी वो ऐसे ही हंसे या फिर हमारा मज़ाक बनाये और सबलोग हंसे हमपर !

ओह सौरी यार, मैं भी बौड़म हूं वैसे अच्छा किया तुमने उसके बारे में बता दिया अब देखना। कल फिर सब इकट्ठे होने वाले हैं ना कीर्ति के यहां जरूर ही उसे मौका दूंगी, फिर देखना उसका चेहरा कहते-कहते काॅफी लाकर देती है और साथ में मठरी भी ले आई थी। 

रेणु देखकर उछल पड़ी मठरीईईई कब बनाई ?

 आज ही बनाई थी, तुझे बहुत पसंद हैं ना, तेरे लिए भी बनाईं है जाते हुए याद से लेकर जाना।

 ले जाना, अरे क्या करूंगी ले जाकर ? इधर ही खा लूंगी, तुम्हें तो पता ही है शिरीश पंद्रह दिनों के लिए बाहर गये हुए हैं।

बाहर ? हूंऊऊऊ उसी छमिया के पास,, है ना ?

छोड़ यार, 

छोड़ यार नहीं, कुछ कर यार तू मुझे समझाती है मगर तेरी समझ कहां पर घास चलने चली गई ? वो ममता तेरी तो ममेरी बहन है फिर भी उसने तेरे साथ ऐसा किया ? तुमने उसे अपने घर में जगह दी थी इसीलिए ना कि जवान लड़की अकेली कहां रहेगी आई तो पढ़ने थी मगर तुझे ही पाठ पढ़ा गई। ताज्जुब की बात तो यह है कि तुमने ये सब स्वीकार कर लिया तुम्हें तो उसका विरोध करना चाहिए था लेकिन तू चुप कैसे रही ? यह तेरे नेचर में तो नहीं है फिर,, ? यार, जाने क्यों तू खुद भी चुप रही, यूं सब सहती रही और मुझे भी कुछ करने नहीं दिया क्यों ? कहां गया तुम्हारा वो नजरिया जो अपने वजूद के लिए कुछ भी बिना वजह सहने को तैयार नहीं था तो अब ? वो वजूद, वो नजरिया, कहां,,,, ?

मेरी जान, सब यही पर है मेरे ही पास ! लेकिन जब अपना ही सिक्का खोटा निकले तो किसी और से शिकायत कैसी और क्यों ? जिसका स्वभाव ही अगर इधर-उधर मुंह मारने का हो तो भला फिर वो कहां चूकने वाला जैसे बे पैंदे का लोटा जहां ढलान देखी लुढ़केगा ही !

फिर भी तुझे चुप न रहकर उसे उसकी औकात तो दिखानी ही चाहिए थी, कम से कम तुम्हारे उस बे पैंदे के लोटे को तो सबक सिखाना चाहिए था लेकिन अब भी कुछ नहीं बीता। अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है उसके साथ हनीमून मनाने गया हुआ है। मेरे दिमाग में एक आइडिया है सुनेगी ?

नेकी और पूछ-पूछ ! ठीक है, बता लेकिन अब एक चाय और , चाय के साथ बातचीत करने में मज़ा आता है ये वाली तो खत्म हो गई।

यार रेणु, यहां लाइफ की बात में भी तुझे मजा सूझ रहा है वो भी चाय के साथ !

मेरी जान, मजा तो लाइफ की बातों में ही होता है,,,, हां, यह बात अलग है कि किसकी लाइफ का क्या फंडा है कहते-कहते रेणु का गला भर आया !

अरे यार, तू इतनी बहादुर होकर इस तरह सेंटी ? नहीं  तुझे यह सूट नहीं करता ! इतने में चाय भी बन गई,, ले चाय अब सुन आइडिया रेणु ने कमला की तरफ देखा जैसे कह रही हो - हां बोल तुझे और कुछ चाहिए कि बोलूं ? 

अरे बोल ना मेरी मां !

देख, तुम दोनों के जो ज्वाॅइंट बैंक एकाउंट्स है उसमें से उसका नाम निकलवा दे, जानती हूं यह आसान नहीं है एक ज्वाॅइंट अप्लीकेशन देनी होगी तो वो उसके आने के बाद ही होगा, मकान तो तेरे नाम है इसलिए तू नहीं चाहे तो वे लोग यहां रहे। इसके अलावा तेरे नाम और जो प्रोपर्टी है वो तो सेफ ही है, जो ज्वाॅइंट है उसके लिए भी अप्लीकेशन दे सकती है कि तेरे साइन बिना वो बेच नहीं सकता। तू तो पढी लिखी है मुझसे तो ज्यादा जानकारी होगी तुझे !

हां, पर तुझे कैसे पता ये सब ?

भई, वकील की बीवी हूं, ठीक है ज्यादा पढ़ी लिखी नही हूं यह मेरा बदनसीबी है जो मुझे सौतेली मां मिली, गनीमत जो सातवीं तक तो पढ़ाया जबकि अपनी बेटियों को तो पढ़ाकर उच्च शिक्षा दिलाई, चलो यही सही मैं नहीं तो क्या हुआ मेरी दो बहनें तो पढ़ी ! कहते हुए रो पड़ी।

ऐ ऐऐऐऐऐ, मेरी मां संभलकर,,,, कहीं बाढ़ न आ जाय,,,, कमला को रोते हुए भी हंसी आ गई चल छोड़ मैंने जो कहा, कुछ पले पड़ा ? 

पड़ा मैडम, पड़ा, बिल्कुल पड़ा, मैं ये भी सोच रही थी कि विमल के दफ्तर जाकर उसके मैनेजर से मिलूं और उसे सारा माजरा बताकर अपने फेवर में करूं ताकि विमल के आने के बाद उसे एक-दो महीने लटका कर रखे !

वो करेगा ऐसा ?

होप सो बात करने में क्या जाता है ! समझदार होगा तो समझेगा। वैसे मैंने उससे बात की थी उसने कहा, आज भी मिल सकते हैं स्टार बक्स में, अभी उसे दस मिनट में हां ना बताना पड़ेगा चलेगी तो हां बोलूं, वो भी आधे घंटे में निकलना पड़ेगा। 

पिंकी स्कूल पिकनिक गई हुई है, वकील साहब केस के सिलसिले में बाहर गए हैं तो वैसे भी खाली हूं, नहीं भी होती तो मैनेज करके कल चलते , चलो चलते हैं, तू तो तैयार ही है मैं घर के अवतार में हूं, बस दस मिनट में चेंज कर लेती हूं फिर चलते हैं। एक बात कहूं तूने अपनी बेटी को होस्टल में रखा उसको अपने पास बुलाले कितनी छोटी है बेचारी पांच साल की तो है, मां की कमी क्या होती है यह मुझसे बेहतर और कौन समझ सकता है ! 

हां मुझे भी ऐसा ही लगता है जब तेरे मन की कसक महसूस करती हूं, ये सब मुझे अब विमल के जाने के बाद कुछ अधिक ही महसूस होने लगा है, अगले महीने ही ले आती हूं, तू चलेगी ?

देख तूने आगे से ऐसा बेहूदा सवाल किया ना तो,, उसी वक्त तेरी-मेरी दोस्ती खत्म !

सौरी मेरी जान माफ करदे, मेरी मत मारी गई जो मैंने, 

बस-बस, अब नौटंकी बंद कर चल,,, ताला लगाऊं वरना देर हो गई तो बंदा निकल न जाय। कमला का प्यार और अपनापन देखकर मन को कितनी तसल्ली मिल रही थी कितना दिलासा मिल रहा था, वह तो उसका बहुत बड़ा आधारस्तंभ थी। रेणु सोच रही थी अगर कमला न होती तो, ?

दोनों स्टार बक्स पहुंची मैनेजर रशीद का इंतजार करने लगी, अभी दोनों बैठी ही थी कि रशीद भी आ गया माफ कीजिए इंतजार तो नहीं करना पड़ा ?

नहीं बस अभी ही आई हैं हम भी। रेणु ने तीन काॅफी का आर्डर दिया। दो मिनट तक सब चुपचाप बैठे रहे फिर रशीद ने बात करने की शुरुआत की -- हां जी, तो बताइए अपनी समस्या दायरे में रहकर जो हो सकेगा मैं हाज़िर हूं !

सारी बातें सुनकर रशीद भी सोच में पड़ गया थोड़ी देर तो यूं ही सोचता रहा, कुछ नहीं बोला वे दोनों उसके चेहरे के आते-जाते भावों को देख रही थी फिर एकाएक बोला - देखिए मैडम ऐसा है कि विमल का रिकॉर्ड एकदम परफेक्ट है इसलिए इस बेसिस पर तो हम कुछ नहीं कर सकते ! लेकिन कोर्ट के द्वारा आपकी तरफ से उसे नोटिस मिलता है तो हम मोरालिटी के तौर पर थोड़ा परेशान कर सकते हैं, उन दोनों के पोस्टर लगवा सकते हैं लेकिन इसका परिणाम क्या होगा नहीं पता ! 

सर, यह सब तो नहीं करना मुझे मगर उसे आप समझा सकते हैं ?

कोशिश करूंगा !

ठीक है आपकी हमारी कोशिश मिल कर जरूर रंग लायेगी !

एक हफ्ते बाद ही विमल को घर वापस आना पड़ा, पैसे जो थे खत्म हो गए, एटीएम से निकले नहीं, पास की ब्रांच से जाकर पता किया तो पता चला सब ब्लाॅक कर दिया गया है ! उसने ममता से कहा तुम्हारे एटीएम से निकालो मेरा तो सब बंद है वहां जाकर रेणु को बराबर करता हूं पर अपना हनीमून क्यों बिगाड़ें अपने सेड्यूल पर ही जाते हैं तब तक तुम खर्च करो।

क्यों मैं क्यों खर्च करु ? फिर हनीमून किस बात का,,, क्या हमारी शादी हुई है ? तुम अपना देखो मैं अपना तुम कौन होते हो मेरे ? अरे जो अपनी बीवी का नहीं हुआ वो मेरा क्या होगा ? 

हम प्यार करते हैं एक-दूसरे से !

प्यार ! माय फुट ! प्यार तो तुम अपनी बीवी से भी करते थे 

तो वो क्या था जो तुमने मेरे साथ इतना वक्त गुजारा साथ जीने मरने की कसमें खाई थी, वादे किये थे उन सबका क्या हुआ ? ( सुनकर हंस पड़ी,,,, ) इसमें हंसने वाली कौन-सी बात है ?

हंसने वाली बात तो है ही, साथ में घूमने-फिरने, मौज-मस्ती करने को प्यार कहते हो ! ओ नो नेवर ! ऐसे तो मैं काॅलेज में भी लड़कों के साथ घूमी हूं तो क्या सबसे प्यार कर लिया ? मौज-मस्ती के लिए ही तो सब लड़के-लडकियां साथ घूमते-फिरते हैं, खाते-पीते हैं, मज़े करते हैं और क्या ! बस,,,, वैसे ही हमने भी मज़े किए  अब पैसे भी मैं खर्च करूं ? जब गांठ में पैसे नहीं तो आये क्यों ? अगर मुझे पता होता कि तुम कड़के हो तो कभी नहीं आती तुम्हारे साथ !

सुनकर विमल को बहुत धक्का लगा, वह सोचने लगा इस जैसी स्वार्थी के लिए अपनी बीवी और पांच साल की बच्ची को छोड़ रहा था, इसके कहने पर तलाक़ देने को तैयार हो गया, जरा भी आगा-पीछा न देखा, न ही सोचा ! ओह वकील ने डिवोर्स पेपर्स रेणु को दे न दिए हों, इस ख्याल मात्र से सिहर उठा और उसी वक्त वकील भंडारी को फोन किया - वकील साहब आपने पेपर्स भिजवा दिए ?

रास्ते में ही हूं, जा रहा हूं दस मिनट में पहुंच जाऊंगा।

मत जाइए आने पर सब बता दूंगा।

मगर, डोंट वरी आपकी फीस आपको मिल जाएगी। एक और फेवर कीजिए, मेरे एकाउंट में पांच हजार डाल दीजिए प्लीज  फ्लाइट की टिकट के लिए दो हजार कम पड़ रहे हैं अर्जेन्सी है, आने पर सब बताता हूं, कुड यू बिलीव मी ? प्लीज हेल्प मी !

ओके मिस्टर विमल, अभी पंद्रह मिनट में आपके एकाउंट में पैसे आ जायेंगे,आप एकाउंट नंबर मैसेज कर दीजिए।

थेंकयू सर ! और वाकई कुछ ही देर में उसके एकाउंट में पैसे आ गये उसने तुरंत एटीएम से निकाल लिये। उसने ममता से न कुछ बात की, न ही कुछ पूछा और अपना बैग उठाकर चल पड़ा। देखकर ममता ने पूछा बैग कहां लेकर जा रहे हो ? 

इतने महंगें रूम में रहने की मेरी हैसियत नहीं है किसी सस्ते होटल में देखूंगा ¡ टिकट तो छब्बीस तारीख की है और जब तारीख का ख्याल आया तो उसने दोनों टिकट केंसिल करा दी उसे ममता पर इतना गुस्सा आया कि उसने ममता को कुछ नहीं बताया और नोटीफिकेशन भी उसके ही मोबाइल में था ! दूसरे दिन सुबह घर पहुंचा तो रेणु ने उससे कोई बात नहीं की ! लेकिन उसने शुरू से आखिर तक यानी कि ममता की तरफ झुकाव से लेकर कल की बात तक सब बताया। यह भी कहा - अच्छा हुआ तुमने मेरी आंखें खोल दीं, ममता का मोह सामने आ गया। काश कि मैं उसके इशारों में, उसकी बातों में न आया होता ! तुमसे माफी मांगने लायक तो नहीं हूं फिर भी अगर मुझे माफ़ कर सको तो,,,, अभी तक रेणु तो कुछ नहीं बोली सिवा आंसू बहाने के इतने में कमला अंदर आई जो जाने कबसे दरवाजे पर खड़ी थी बोली - भाई साहब, आपने अच्छा तो नहीं किया , माफ़ी लायक नहीं है फिर भी रेणु बच्ची की खातिर माफ़ कर दे इन्हें बच्ची को मां-बाप दोनों की जरूरत है ! रेणु तो अभी कुछ कहने-सुनने की स्थिति में नहीं है लेकिन मैं आपसे एक सवाल पूछतीं हूं - अगर रेणु ने ऐसा किया होता तो आप क्या करते ?

कमला की बात सुनकर विमल उसका मुंह देखता रह गया, कुछ जवाब ही नहीं दे पाया और रेणु कमला की तरफ बड़े आश्चर्य और गर्व से देख रही थी ! उधर विमल सोच रहा रहा था - सच में ऐसा होता तो मैं क्या करता ? काश !

आप क्या करते।


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