Priyadarshini Kumari

Inspirational

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Priyadarshini Kumari

Inspirational

आँसू

आँसू

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शाम का वक्त हो चूका थारमन जी के पत्नी पूनम और उनके दो छोटे प्यारे बच्चे बेटा, बेटी तैयार होकर अपने पापा के आने का इंतजार में रहते है। रमन जी घर पहुंचते है ,"अरे!!वाह तुम सब तैयार हो "।

"हाँपापा चलो ना मम्मी भी तैयार है "।बच्चे अपने पापा से कहते है।

"हाँ बच्चों ठीक है तुम मम्मी को बुलाओ मैं तुम्हारे दादी से मिलकर आता हूं "।

दोनों बच्चे अपनी मम्मी के पास चले जाते है।

रमन जी अपनी माता जी के पास आकर पूछते है ,"माँ अब कैसी है आपकी तबियत ? बुखार उतरा "।

"हाँ बेटा ठीक हूं।तुम सब जा रहें हो घूमने "।माता जी अपने बेटा से पूछती है।

"हाँ माँ अगर तुम्हारी तबियत ठीक नही तो नही जाएंगे "।

"नही नहीं बेटा मैं ठीक हूं तुमसब घूमने जावो "।

""ठीक है माँ , जाता हूं पर आपके रात्रि का भोजन पूनम ने बनाया "।

"नही बेटा ,बहू कह रहीं थी रात्रि को आते वक्त वो मेरे लिए होटल से खाना लेकर आयेगी।तू जा मेरी फिकर ना कर "।

रमन जी अपने बच्चो व पत्नी के साथ बाहर घूमने चले जाते है।बच्चे खूब घूमते है खेलते हुए मस्ती करते है रंगबिरंग के खिलौने भी खरीदते है।सभी साथ में टॉफी ,आइसक्रीम ,पिजा,बर्गर भी खाते है। 

घर में माता जी को तेज बुखार से पूरा बदन जलने लगता है।रात के करीब नौ बज चुके थे।माता जी को भूख महसूस होने लगती है पर बेटा ,बहू के आने के इंतजार में भूखी टकटकी लगाए घड़ी में समय देखते देखते रात के दस बज जाते है।माता जी मन में सोचती है ,"रात के दस बज गये है बुखार भी बहुत तेज हो गयी है देखती हूं रसोई में जाकर कही दोपहर के खाना फ्रिज में रखा होगा तो उसे ही गर्म करके खा लुंगी

फिर दवा भी खा लुंगी "।

माता जी लड़खराती हुई रसोई में जाकर फ्रिज खोलती है पर अफ़सोस खाने को कुछ नही रहता।

माता जी सोचती है ,"एक दो रोटियां ही सेंक लेती हूं।नही नही अगर बहू खाना लेती आयी तो फिर खाना बर्बाद हो जाएगा ऐसा करती हूं थोड़ा और इंतजार कर लेती हूं।क्या पता रास्ते में हो ?"।

माता जी अपने कमरें में आकर बिस्तर पर लेट जाती है और बेटा ,बहू , पोता-पोती की आने का इंतजार करने लगती है।इंतजार में माता जी की आँखे नींद में लग जाती है और खाली पेट बिना दवा खाएगहरी नींद में सो जाती है।

रात के 12:00 बज चुके थे रमन जी अपनी पत्नी व बच्चो के साथ घर पर आते है।पूनम डोर बेल बजाती है डोर बेल बजने की आवाज से माता जी नींद से उठते ही घड़ी में समय देखती है ,"अरे 12 बज गये है "।

माता जी बिस्तर से उठना चाहती है पर तेज बुखार होने की वजह से उठ नही पाती डोर बेल और भी जल्दी जल्दी बजने लगती है।माता जी कैसे भी करके अपना पूरा जोर दम लगाकर दरवाज़े के पास पहुंच कर दरवाजा खोल देती है।

बहू तीखे स्वर में झन झनाती हुई ,"इतना वक्त लगता है गेट खोलने में "।इतना कहकर छमकती हुई अपने कमरें में चली जाती है।

बहू की बातें सुनकर माता जी के आँखों से झर झर आँसू टपकने लगते है।

बेटा माँ से पूछता है ,"माँ आपने खाना खाया "।

माता जी रोती हुई कहती है ,"हाँ बेटा खा लिया "।

रमन जी अपनी माँ की बहती आँसू को देख सब समझ जाते है और खुद भी रोता हुवा अपने कमरें में सोने चले जाते है।


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