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आंकड़ों का पुरस्कार

आंकड़ों का पुरस्कार

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गर्मियों की छुट्टियाँ ख़त्म हो गई थी , स्कूल और इससे जुड़े सभी समूह फिर से जाग्रत अवस्था में आ गये थे. हर वर्ष की तरह प्रवेश उत्सव की तैयारियां खूब जोरों से चल रहीं थी. शिक्षक ,आंगनवाडी कार्यकर्ता , स्कूल से जुड़े गैर सरकारी संस्था सभी गाँव -गाँव घूम रहे थे. बच्चे देशभक्ति गीत याद कर रहे थे , योगा का अभ्यास कर रहे थे ,कुछ अपने भाषण का रट्टा लगा रहे थे.

जिला शिक्षा अधिकारी ने सबसे ज्यादा नामांकन होने पर पुरुस्कार की घोषणा की हुई थी ,सरकार की तरफ से तो अलग मिलना था ही . वसईपुर प्राइमरी शाला को पिछले दो वर्षो से लगातार ये पुरस्कार जितने का गौरव मिला था . इस शाला के प्राचार्य कैलाश जी इस बार तो तिकड़ी करने को आतुर थे. उन्होंने पता लगा लिया था की बाकी स्कूल में कितना -कितना नामांकन हुआ है , कलालपुर में अभी तक सर्वाधिक १७ का नामांकन हुआ था और वसईपुर का नामांकन २३ हो गया था इसलिए कैलाश जी के चेहरे पर मुस्कान छिपाए नहीं छिप रही थी.

प्रवेश -उत्सव का दिन जिला अधिकारी वसईपुर के समारोह में शामिल हुए. कार्यक्रम निर्धारित रुपरेखा के अनुसार चल रहा था . साहेब के फोन की घंटी बजती है और ज्ञात होता है की कलालपुर में नामांकन २५ का हो गया है . कैलाश जी को जैसे ही ये बात पता चली तो उनके चेहरे की रंगत फीकी हो गई . उन्होंने अरफा-तरफी में मंच सञ्चालन रिधा मैडम को सौंप दिया और शाला के सबसे पुराने शिक्षक को दो अन्य शिक्षक साथियों के साथ गाँव में भेजा की जल्दी से जल्दी तीन बच्च

े लेकर आने है ,कैसे भी . साहेब के घोषणा करने से पहले .

टीम अपने पुरे प्रयास करने पर भी सफलता ना पा सकी . उधर रिधा मैडम ने अपने अद्भुत मंच संचालन से साहेब को कुर्सी पर बांधे रक्खा . कैलाश जी फ़ोन पर फोन करके अपडेट ले रहे थे पर निराशा ही मिली. पैंतीस मिनिट हो गये थे ,साहेब जी ने भी बोलना शुरू कर दिया था , आज का दिन अच्छा था की साहेब एक किस्सा ख़त्म होने पर दूसरा शुरू कर देते . कैलाश जी को तो कोई शब्द सुनाई नहीं दे रहे थे.

टीम भी वापिस लौट रही थी तभी उन्हें एक छकड़े में एक महिला अपने दो बच्चो के साथ दिखाई दी ,उन्होंने छकड़े को रुकवाया ,विनती आदि जो भी उनसे बन पड़ा सब करके देख लिया पर महिला के सर पर जूं ना रेंगी . एक मैडम तो अब रो ही पड़ी , इस पर महिला कुछ पसीजी और उनके साथ दोनों बच्चो को लेकर चल दी , रस्ते में से एक चार साल का बच्चा जिसे वो पहले छोड़ चुके अब उसे भी ले लिया , साहेब के घोषणा करने से पहले सभी शाला में आ चुके थे. कैलाश जी नए आंंकड़े से साहेब को अवगत कराया। साहेब ने विजेता के नाम घोषणा की - कलालपुर प्राथमिक स्कूल. कैलाश जी भी अपने आंंकड़े फोन द्वारा दर्ज करा चुके थे. अगले दिवस कैलाश जी ऑफिस में अपने अख़बार पढने में व्यस्त थे ,तभी रिधा मैडम आई और अख़बार में कोने में छपी खबर को जोर से पढ़कर सुनाया – लगातार तीसरी बार वसईपुर प्राथमिक शाला ने नामांकन पुरस्कार जीता . साहेब ने तो अपना फैसला सुना ही दिया था पर आंंकड़ो के आगे उनकी भी ना चली !


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