Sakshi Nagwan

Inspirational

4.8  

Sakshi Nagwan

Inspirational

आमिर और अमीरी

आमिर और अमीरी

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एक शहर में अमन नाम का एक लड़का रहता था वह एक आमिर बाप का बेटा था, अमन स्वभाव से बहुत ही नेक था उसके दिल में ग़रीबों के लिए बहुत ही सहानुभूति और दया भरी थी। वह श्री कृष्ण का परम भकत था वह सुबह-सुबह श्री बांके बिहारी जी के मंदिर जाया करता था और फिर कोई काम किया करता था।

एक दिन की बात है जब अमन दर्शन कर के लौट रहा था तो उसने देखा की एक बूढ़े दम्पति मंदिर की सीढ़ियों पर बेजान से पड़े थे, वह उनके पास गया और उन्हें पानी पिलाया और फिर उसने उस बुढ़िया से पूछा " माजी आप कौन हो और आप यहाँ इस हालत में यहाँ क्या कर रहे हो ?" इस पर उस बुढ़िया ने कहा "बेटा हम ग़रीब है हमारे पास खाने के लिए एक वक्त की रोटी तक नहीं है इसलिए हमें एक रोटी के लिए मीलों चलना पड़ता है। इस पर अमन ने कहा "माजी तो फिर आप दोनों मेरे साथ चलिए मैं आपको काम भी दिलवाऊंगा और रहने के लिए घर भी दूँगा " इस पर वो बुढ़िया रोने लगी और उसने कहा " अरे ! बेटा हम काम भी कैसे करेंगे हम बीमार है इसलिए हम लचर है अगर हम काम कर सकते तो आज हम इस हालत में न होते। "

अमन उस बुढ़िया की बात सुन कर काफी उदास हो गया और सोचने लगा की भगवान ने इन्हे ग़रीब क्यों बनाया, इतने में ही उस बुढ़िया ने अमन से कहा "बेटा तू हमारी इस हालत को देख कर इतने दुखी क्यों हो रहे हो ?" यह ज़िंदगी और इस ज़िंदगी में पैदा हुए हालातों में हमें भगवान ने ही डाला है वो चाहते तो हमें भी अमीर बना सकते थे लेकिन उन्होंने हमें ग़रीब बना कर हमें इन हालातों में डाला है क्योंकि उन्हें पता था की हम इन हालातों में भी खुद को ढाल सकते है। उस बुढ़िया ने कहा " बेटा ग़रीब और अमीर दोनों एक जैसे ही है हमारे अंदर बहुत ही कम अंतर देखने को मिलता है।

जैसे की जो ग़रीब इंसान मीलों चलता भोजन को पाने के लिए और अमीर भी मीलों चलता है भोजन को पचाने के लिए फर्क तो बस इतना ही है की एक मीलों चलता है उसे पाने के लिए और दूसरा उसे पचाने के लिए मीलों चलता है।

ग़रीब के पास खाने के लिए एक वक्त की रोटी नहीं है और अमीर के पास एक रोटी खाने का वक्त नहीं है फर्क तो बस वक्त का है एक के पास वक्त तो बहुत है परन्तु रोटी नहीं और दूसरे के पास रोटी तो बहुत है परन्तु वक्त ही नहीं है।

ग़रीब परिजनों के लिए अपनी रोटी छोड़ देता है और अमीर रोटी के लिए आपने परिजनों को छोड़ देता है फर्क तो सोच का है एक परिजनों में प्रेम की भावना चाहता है और दूसरा परिजनों में नफरत की आग सुलगना चाहते है।

यह बात सुन कर अमन को उस बुढ़िया की बात समझ में आ जाती है की दिल से अमीर होने में धन से अमीर होने में क्या अंतर है इन दोनों चीजों में सिर्फ चीज का अंतर पाया जाता है और वो है भाव का अंतर ग़रीब पैसों से अमीर नहीं होता है, परन्तु वे दिल से बहुत अमीर होते है उनके दिलो में अपनों और पराए दोनों की लिए प्यार भरा होता है। वह आपने छोटे से घर में भी सब को आमंत्रित करने का भाव रखते है वे दिल से इतने अमीर होते है की वह दो रोटी को १० लोगो में बाँट कर अपना पेट भर लिया करते है, जो व्यक्ति केवल धन से अमीर होता है वह कभी भी ग़रीब की अमीरियत का कभी भी मुकाबला नहीं कर सकता। एक अमीर इंसान और एक अमीर इंसान में कुछ बातों में फर्क मिलता है और वो है - ग़रीब सबको साथ लेकर कहलाता है और अमीर अकेला चलता है अमीर अकेला तो ज़रूर चलता है परन्तु उसके पीछे लोगो का एक लम्बा काफिला चलता है, इसका कारण एक ही है और वो है पैसे की ताकत और उस की ताकत इतनी होती है की वो किसी को भी वश में कर सकती है। सिर्फ पैसे के दम पर वो सब पर विजय पा लेता है सेवाएं एक चीज़ के और वो चीज़ है किसी की ज़िंदगी और मौत क्योंकि ज़िदगी और मृत्यु दो ऐसी चीज़े होती है, एक अमीर इंसान अपने वश में नहीं कर सकता, ग़रीब को रोटी की भूख होती है और अमीर को पैसे की, अर्थात कहने का भाव यह है की इंसान अपनी सोच से अमीर या ग़रीब बनता न की पैसों से पैसा तो महज़ एक कागज़ का टुकड़ा होता है। जिसके दम पर एक इंसान अपनी इच्छाओं की पूर्ति करता है पैसों से इंसान कीमती आभूषण ख़रीदता है, पैसों से इंसान आलीशान बंगले बनाता है परन्तु इंसान जीवन जैसी अमूल्य चीज़ को नहीं ख़रीद सकता और न ही वो अपने पैसों के दम पर तहजीब सीख सकता है क्योंकि ये चीज़े स्वभाव से आती न की पैसों से।

उस दिन उन बूढ़े दम्पत्ति से मिल कर अमन को यह एहसास हुआ की वे बूढ़े दम्पत्ति कितने अमीर है और वे कितने ग़रीब है एक अमीर की अमीरी उसके भाव से उजागर होती है न की उसकी संपत्ति देख कर यह ज़रुरी नहीं होता की एक अमीर ही अपनी अमीरी को दिखा सकता है, एक ग़रीब भी अपनी अमीरी को उजागर कर सकता है उसके लिए सिर्फ उसे अपने भावों को उजागर करने की जरुरत होती है इतना सब कुछ सुनने और कहने के बाद वह उन बूढ़े दम्पति को प्रणाम कर के वहा से चला जाता है असल में उस दिन अमन को अमीर और अमीरी का फर्क पता चला था

पैसों की अमीरियत वक्त के साथ बदलती रहती है परन्तु जो भाव की अमीरियत होती है वो वक्त के साथ नहीं बदलती बल्कि वक्त उसके साथ बदलता है एक व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात् लोग उसके भाव को याद रखते न की उसके द्वारा कमाई गई संपत्ति को एक इंसान आता भी खाली हाथ है और जाता भी खाली हाथ ही है रह जाते है तो सिर्फ उसके क्रम उसके भाव सिर्फ क्रम के आधार पर ही लोग उस इंसान को याद रखते है अर्थात क्रम ही इंसान को अमीर बना देता है और क्रम ही इंसान को ग़रीब बना देता है।


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