Ritu Verma

Drama

3  

Ritu Verma

Drama

आखिर कब तक?

आखिर कब तक?

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430


 तनीषा ने अनुज को व्हाट्सएप्प किया।

"हाय, क्या कर रहे हो"

"पूरे दिन याद नहीं आई मेरी"

अनुज का रिप्लाई आया "नहीं ऐसी कोई बात नहीं पर आज ऑफिस में थोड़ा ज्यादा काम था"

"बाद में करता हूँ"

तनीषा को समझ नहीं आया जो अनुज हर शनिवार को मुम्बई से भागकर पूना उससे मिलने आता था, आज अचानक से ऐसे व्यवहार क्यों कर रहा हैं

अपनी रूममेट अदिति से पूछा तो उसने लापरवाही से कहा "अरे इन लड़कों को इतना भाव नहीं देना चाहिये"

"इग्नोर मार, खुद ही पटरी पर आ जायेगा"

फिर तनीषा को भी लगा, शायद अदिति ठीक कह रही हैं

तभी घर से मम्मी का फ़ोन आया और बोली "परसों करवाचौथ का व्रत हैं। अगर तुम चाहो तो रख लेना या फिर ऐसे करना अपनी होने वाली सास से पूछ लेना"

फिर करवाचौथ के व्रत को रखने के तमाम निर्देश दे कर मम्मी ने फोन रख दिया।

तनीषा का अचानक से मूड अच्छा हो गया। अदिति छेड़ते हुये बोली "ओहहो तो होने वाली दुल्हन परसों व्रत रखेगी"

"वैसे यार बुरा मत मानना, अभिषेक तेरे अनुज से लाख दर्जे बेहतर हैं और तुझ पर जान भी छिड़कता है "

"ना जाने तू क्यों उसे भाव नहीं देती हैं"

अभिषेक का नाम सुनकर तनीषा की चमकती आंखे एकाएक बुझ गयी और थके हुई स्वर में बोली "जानती तो हैं तू सब अदिति"

"अभिषेक ना तो अभी विवाह के लिये तैयार था और ना ही उसके जीवन मे कोई बड़े सपने है"

"वो तो समाज सेवा करना चाहता है"

अदिति बोली जो भी हो", तेरी और उसकी जोड़ी बड़ी क्यूट थी"

"चल अब मूड ठीक कर, तेरा पहला व्रत हैं पार्लर चलते हैं"

तनीषा ने हेयर स्पा, फेसिअल, ब्लीच और पेडीक्योर कराया और जैसे ही उसका हाथ मोबाइल की तरफ गया कि अदिति ने उसके हाथों से मोबाइल छीन लिया।

"यार सब्र कर, इतना अनुज को अभी भाव देगी तो शादी के बाद ताउम्र तुझे दब कर रहना पड़ेगा"

फिर अदिति और तनीषा ने बाहर डिनर किया।

रात को भी अनुज का कोई मैसेज नहीं आया तो तनीषा की बैचनी बढ़ने लगी।

उसने देखा अनुज ऑनलाइन था, तनीषा से रहा नहीं गया। उसने मैसेज कर दिया "इग्नोर क्यों कर रहे हो,"

मैसेज पढ़कर अनुज का जवाब आया "और भी काम हैं मुझे"

"थोड़ा सब्र रखो एक दो दिन में सब क्लियर हो जाएगा"

तनीषा की आंखों में अपमान के आँसू आ गए

अदिति को समझ आ गया था इसलिए बोली "पगली, हो सकता हैं वो तुझे सरप्राइज देना चाहता हो"

"तू भी ना एकदम इडियट है"

अदिति की ये बात सुनकर रोती हुई तनीषा मुस्कुराने लगी। ऐसी तो हैं तनीषा एकदम बच्ची जैसी। तीस वर्ष में शारीरिक सरंचना एकदम बीस वर्ष की युवती जैसी थी, चाय जैसा चम्पई रंग, कंधे तक सीधे बाल, बड़ी बड़ी आंखे जो कभी झूठ नहीं बोलती और गालो में पड़ते हुई गहरे गड्ढे। तनीषा खूबसूरत ना होकर भी खूबसूरत थी, उसकी ईमानदारी उसे बरबस बेहद आकर्षक बनाती थी।

फिर अगले दिन जैसे ही तनीषा दफ़्तर पहुंची तो अभिषेक से टकरा गई। अभिषेक मुस्कुराते हुये बोला "बड़ी चमक रही हो, लगता हैं प्रीकरवाचौथ का असर है"

"रख रही हो क्या करवाचौथ अपने होने वाले पति के लिए" तनीषा बस मुस्कुरा दी।

जब तनीषा दफ्तर से घर की ओर जा रही थी तो देखा मेंहदी वालो के पास बहुत भीड़ थी। अगर मेंहदी लगवाने रुक गई तो बहुत देर हो जाएगी, ये सब सोच कर तनीषा ने मेंहदी की कीप खरीदी और घर की ओर चल पड़ी।

अदिति आज रात थोड़ी देर में आएगी। इसलिये आज खाना तनीषा को ही बनाना होगा।ये सोच कर पहले उसने जल्दी जल्दी चावल धोये, सलाद काटा और फिर रायता बनाने लगी। अभी तनीषा ने पुलाव के लिये कुकर रखा ही था कि तभी अदिति आ गई।

अदिति तनीषा को गोल गोल घुमाते हुये बोली "मेरी जान , आज तुम्हारे खूबसूरत हाथों पर मैं ही मेंहदी लगायेगी"

खाने के बाद , अदिति तनीषा की हथेलियों पर मेंहदी के बेलबूटे सजाने लगी। मेंहदी लगाते हुये वो उसे छेड़ते भी जा रही थी"क्यों बता अनुज का नाम लिख दूँ"

"फिर जीजू से पूछना अपना नाम ढूंढ़गे"

तनीषा का चेहरा शर्म से गुलाबी हुआ जा रहा था।

अगली सुबह तनीषा जल्दी उठ गई थी। एक बार मन किया कि अनुज को व्हाट्स एप्प कर दे अपने मेंहदी लगे हाथों की तस्वीर। फिर ये सोच कर रुक गई, आज अनुज को ही पहल करने दो।

आज अदिति ने भी छुट्टी ले ली थी। घर का सारा काम आदिति ही कर रही थी। अदिति और तनीषा पिछले चार वर्ष से एक साथ एक ही फ्लैट में रह रही थी। दोनो अब फ्लैटमेट कम दोस्त ज़्यादा बन गयी थी।


नहाने के बाद अदिति बोली "चल अब अपनी,दुल्हन को सजा दूँ"

तनीषा के हाथों में नेलपॉलिश लगाते हुये अचानक से अदिति रोने लगी और बोली "यार कैसे रह पाऊंगी तेरे बिना"

तनीषा की भी आँखें भर आईं। अदिति से तनीषा को भी बहन जैसा ही लगाव था।

तनीषा ने हरी और लाल रंग की नेट की साड़ी पहनी तो अदिति ने लाल रंग का सूट।दोनो सहेलियों ने उसके बाद जम कर सेल्फ़ी सेशन किया।

शाम के पांच बज गए थे पर अनुज का कोई फोन या मैसेज नहीं आया। मम्मी का ही दो बार कॉल आ चुका था, ये जानने के लिये कि उसकी होने वाली सास का फ़ोन आया था या नही।

अदिति ने तनीषा के लिये जूस बनाया और बोली "पूरा दिन हो गया, कब तक प्यासी रहेगी, ये जूस पी लो"

तनीषा रुआँसी होते हुए बोली "अदिति, क्या अनुज को कॉल करू"

अदिति बोली "चल ठीक हैं, मिला ले"

तनीषा ने झट से फ़ोन मिलाया। दो तीन बार रिंग किया पर ऐसा लगा, उधर से किसी ने फ़ोन काट दिया। तनीषा परेशान हो उठी।

अनुज का मैसेज था "विल कॉल बैक, बिजी इन मीटिंग"

तनीषा उदास हो उठी और कपड़े बदल कर पलँग पर पसर गई।

अदिति उसका सिर सहलाती रही, उसे भी अनुज पर बहुत गुस्सा आ रहा था। मन ही मन अदिति सोच रही थी, जब अभी अनुज का ये हाल है तो ना जाने विवाह के बाद क्या होगा?

चाँद निकल आया था परन्तु अनुज का फ़ोन नहीं आया। बहुत मुश्किल से अदिति ने तनीषा को कुछ खिलाया। अभी तनीषा ने पहला निवाला तोड़ा ही था कि अनुज का कॉल आ गया। तनीषा के चेहरे की रंगत लौट आई। लपक कर उसने मोबाइल लिया और बालकनी की तरफ भागी। अदिति की भी सांस में सांस आयी। उसे लगा चलो देर आये पर दुरुस्त आये।

अब तो दो घन्टे से पहले मैडम फ्री नहीं होगी। ये सोचकर अदिति बर्तन करने लगी। अभी वो किचन साफ ही कर रही थी कि तनीषा रोते रोते बेडरूम में घुस गई।


अदिति ने पूछा" क्या हुआ?"

तनीषा बोली "अनुज के पण्डितजी ने मेरी जन्मपत्री देखकर विवाह के लिये मना कर दिया हैं"

"उसकी मम्मी कह रही हैं पण्डितजी ने बोला हैं कि लड़की के ग्रह ससुराल पक्ष के लिये बेहद भारी हैं"

"अदिति क्या मैं सच में मनहूस हूँ"

अदिति गुस्से में बोली "जब ये अनुज हर हफ्ते तेरे साथ घूमने फिरने आता था तब नहीं पूछा उसने अपने पण्डितजी से"

"अब तक तीन चार बार तो तुम लोग सेक्स भी कर चुके हो, इसके लिये क्यों नहीं परमिशन ली अनुज ने"

तनीषा की आंखों से आँसू झमाझम बह रहे थे।

तभी तनीषा के घर से फ़ोन बजने लगा। तनीषा का हाल देखकर अदिति ने फ़ोन उठा लिया था। तनीषा की मम्मी भी बेहद दुखी थी परन्तु वो भी उतनी ही अंधविश्वास में जकड़ी हुई थी।

"अदिति बेटा, हमारे पंडित ने बोला हैं कि अनुज की मम्मी दहेज के लिये खेल खेल रही हैं"

"तनीषा को बोलना चिंता ना करे, कल से मैं पाठ शुरू करवा रही हूँ, एक हफ्ते में ही अनुज का मन पलट जाएगा और वो तनीषा से ही विवाह करेगा"

अदिति को हालांकि इन सब बातों पर विश्वास नहीं था फिर भी तनीषा को वो रोते हुए नहीं देख सकती थी, इसलिये उसने तनीषा को बता दिया। अपनी मम्मी की बात सुनकर फिर से रोती हुई तनीषा हँस दी।

अगले दिन अनुज का मैसेज था "आई म सॉरी तनीषा मिस यू"

तनीषा ने फौरन घर पर कॉल लगा दिया और अपनी मम्मी को अनुज के मैसेज के बारे में बता दिया। उधर उसकी मम्मी बोल रही थी "बेटे पण्डितजी कह रहे थे, ये पाठ कभी खाली नहीं जाते हैं"

अदिति को तनीषा की बुद्धि पर तरस आ रहा था ,उसे क्यों अनुज का स्वार्थ नहीं दिखाई दे रहा था। रिश्ता चाहे ना भी हो, टाइम पास के लिये वो तनीषा को छोड़ना नहीं चाहता था।


जैसे ही शुक्रवार आया, तनीषा डरती डरती अदिति के पास आई और बोली "अदिति, अनुज आने के लिये कह रहा हैं "

अदिति बोली "क्यों उसके पण्डित जी ने हाँ कर दी हैं"

तनीषा बोली "नहीं वो कह रहा हैं, वो आकर सारी बात अकेले में समझाना चाहता हैं"

अदिति को भलीभांति पता था कि अनुज क्या समझाना चाहता हैं। और ना चाहते हुये भी अदिति के मुहँ से निकल गया "इडियट वो तुम्हें अपने फायदे के लिये इस्तेमाल कर रहा हैं। वो बस तुमसे शारीरिक नज़दीकी चाहता हैं और कुछ नही"

तनीषा ये सच जानती थी पर वो उस सच को स्वीकार नहीं करना चाहती थी। इसलिये रुखाई से बोली' तुम तो चाहती हो कि मेरी शादी ही ना हो पाए, नहीं तो पूरे फ्लैट का किराया तुम्हें उठाना पड़ेगा"

अदिति ने कहा "जैसा तुम सोचना चाहती हो, सोच लो"

"कल मैं अपने घर नागपुर जा रही हूँ"

सोमवार को अदिति सीधे ही दफ़्तर चली गई थी। पता चला की तनीषा आज छुट्टी पर है ।

जब शाम को अदिति फ्लैट पहुंची तो तनीषा उसके गले लग गई और बोली "यार नाराज़ मत हो"

फिर तनीषा ने अदिति को सारी बात बताई कि कैसे उसने और अनुज ने दो दिन बिताए। साथ ही साथ वो ये भी बोल रही थी कि अनुज उसको वादा करके गया है कि वो कोई न कोई तोड़ निकाल ही लेगा।


एक हफ्ते तक अनुज के फ़ोन रोज आते रहे पर फिर अनुज ने तनीषा को इग्नोर करना शुरू कर दिया। तनीषा का फिर से बुरा हाल था पर इस बार अदिति को तनीषा से कोई सहानुभूति नहीं थी। तनीषा ने खुद अपने आप को इस अंधे कुएँ में धकेला था।

जब तनीषा अनुज को बार बार व्हाट्सएप पर मैसेज करती रही तो अनुज ने तनीषा को ब्लॉक कर दिया । उधर तनीषा की मम्मी के पाठ अभी भी जारी थे।

करीब बीस दिन बीत गए और एक रविवार की सुबह तनीषा को उबकाई सी आने लगी। अदिति को दया सी आ गयी और वो तनीषा को लिमका दे रही थी कि तनीषा बोली 'अदिति मुझे अब तक पीरियड्स नहीं हुये"

अदिति बोली "बेवकूफ तुमने प्रीकॉशन नहीं ली थी"

तनीषा "मुझे लगा वो मेरा होने वाला पति हैं और उसे कंडोम पसन्द नहीं हैं"

अदिति ने फ़टाफ़ट चप्पल पहनी और बाजार से प्रेगनेंसी टेस्ट किट ले आई। जिसका डर था वो ही हुया । तनीषा प्रेगनंट थी। फिर से गंगा यमुना बहने लगे।

अदिति झिड़कते हुई बोली "अब अनुज से बात करो"

तनीषा ने अदिति के नंबर से फ़ोन लगाया , दो रिंग के बाद अनुज ने कॉल ले लिया और बोला "हाँ अदिति सुनो, मेरा रिश्ता तय हो गया है और तनीषा को समझाओ कि मेरा पीछा छोड़ दे"

तनीषा रोते हुए बोली "मैं प्रेग्नेंट हूँ अनुज"

अनुज रुखाई से बोला" पढ़ी लिखी हो , तुम्हें प्रीकॉशन लेनी चाहिए थी"

तनीषा बोली "अनुज अब मैं क्या करूँ"

अनुज बोला "देखो वो हम दोनों की आपसी सहमति से हुआ था और मैंने तुमसे कहा था कि कोशिश करूँगा ,पर तुमने तो जान बुझकर ये जाल बिछा दिया हैं"

"पण्डित जी सही कहते हैं कि तुम चालू लड़की हो "

ये कह कर अनुज ने फोन काट दिया।


तनीषा सिर पकड़ कर बैठ गई। अदिति बोली",नहा लो फिर डॉक्टर के पास चलेंगे"

डॉक्टर के पास जा कर तनीषा को अपनी समस्या का समाधान तो मिल गया परन्तु वो चुप सी हो गई थी।

अदिति कितना भी कोशिश करती परन्तु तनीषा तो मानो हँसना भूल सा गई थी।

अभिषेक को जब तनीषा के बारे में पता चला तो फिर से तनीषा का ध्यान रखने लगा था। वो दिल से तनीषा को चाहता था। अब तनीषा को भी समझ आ गया था कि पैसों से ज्यादा प्यार का मोल होता हैं।

तनीषा की सहमति के बाद अभिषेक के मम्मी पापा रिश्ता लेकर गए थे। परन्तु फिर से जन्मपत्री आड़े आ गई। अभिषेक ने तनीषा को बहुत समझाया परन्तु वो टस से मस नहीं हुई थी।

आज फिर तनीषा की मम्मी ,तनीषा को समझा रही थी कि उसका राहु काल चल रहा है, इसलिये वो शनिवार के व्रत रखने आरंभ कर दे और हर शनिवार को 1 किलो काली उड़द की दाल दान कर दे। पण्डितजी ने कहा पांच शनिवार के बाद ही उसका रिश्ता तय हो जाएगा।

अदिति को मालूम था कि तनीषा इतनी धर्मभीरु है कि वो अब शनिवार के व्रत रखने आरंभ कर देगी। परन्तु कब तक तनीषा अपनी ज़िंदगी इन ग्रहों और नक्षत्रो के हिसाब से चलायेगी। आखिर कब तक?



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