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आज के विधाता

आज के विधाता

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"सुनो, खाना लगा दो जल्दी से।" ,अंदर आते ही विश्वास बोला।

"पर आपका लंच तो आज बाहर था न ? ...क्या हुआ ?" शगुन ने प्रश्नचिन्ह लगाते हुए पूछा।

"वो कैंसल हो गया।"

"क्यों......क्या हुआ ?" गैस फर तवा रखते हुए शगुन ने पूछा।

"वो आज मार्किट में रामसरन जी की दुकान का उदघाटन था...।"

"वही ज्योतिषी ना.....जिनसे मिलने की सोच रहे थे आप ?"

"हाँ....वही। सुबह उनके बेटे का भंयकर एक्सीडेंट हो गया इसीलिये आज का प्रोग्राम कैंसल करना पड़ा।

*जानिये अपना भविष्य बिल्कुल सटीक। भावी समस्याओं को जानने और उनके समाधान के लिये मिलिये।

पंडित राम सरन शर्मा।

मंडी के पास लगा बोर्ड अचानक आँखों के सामने आ गया।

"उफ.......ये आजकल के भाग्य विधाता।" बुदबुदाते हुए शगुन के चेहरे पर कटाक्ष के भाव उतर आये थे।


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