आईना
आईना
"ओ हो मिष्ठी तुम्हे कितनी बार समझाया है कि जब भी लेखन करो। तो अपना पूरा ध्यान पुस्तक पर रखो।देखो आज भी लेखन में मात्राओं की कितनी गलतियां हैं।"
मिष्टी की दादी ने उसे आज फिर समझाते हुए कहा।इस पर एक पल की खामोशी के बाद मिष्टी पुनः अपनी दादी से बोली,"पर दादी मुझे तो लगता है कि कुछ बातें तो हमारी हिंदी की किताब में भी गलत ही लिखी है।"
"अब ऐसा क्यूँ कहती है मिष्टी",दादी ने फिर आश्चर्यभरी निगाहों से उसकी ओर देखते हुए पूछा।
"अब आप ही बताइये दादी ,इसमें लिखा है कि हमारे देश मे स्त्रियों को देवतुल्य आदर दिया जाता है" अपने शराबी पिता के द्वारा दी,उसकी माँ के चेहरे की ताजी चोटों को देखते हुए उसने पढ़ा।
