Bhagirath Parihar

Tragedy

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Bhagirath Parihar

Tragedy

आइएस जेहादी

आइएस जेहादी

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यकायक आई एस आई एस जेहादी आतंकी इराक के सिन्जर जिले में घुस आए। सिन्जर जिले में ज्यादातर येजदी लोग रहते हैं जो इस्लाम को नहीं मानते।

खबर फैलते ही लोग नंगे पाँव सब कुछ छोड़कर भागने लगे, कुछ लोग रास्ते में मर गए, कुछ लोग ईश्वर पर भरोसा कर वहीं ठहर गए। वहीं ठहरने वाले लोगों में हनीफ़ा भी थी। 

वे घातक हथियारों से लैस थे। उन्होंने लोगों को बंधक बना कर पुरुषों और औरतों-बच्चों को अलग-अलग कर दिया। उन्होंने पुरुषों को उनके परिवार के सामने ही गोलियों से उड़ा दिया। वे बेहद निर्मम और दुष्ट थे । उन्होंने लोगों को सिर्फ इसलिए मार दिया कि वे इस्लाम को नहीं मानते थे।  

हनीफ़ा हैरान और परेशान थी। वह येजदी थी और इस्लाम को नहीं मानती थी। 

अपने ही स्वजनों को अपने सामने यूँ मरते देखना कितना दुखदायी है और उससे भी ज्यादा दुखदायी है कि आप उनकी कोई मदद नहीं कर सकते। अगर मदद करने की कोशिश की तो गोली सीने के पार हो जाती। मदद की हर कोशिश विफल होने वाली थी। क्योंकि सामने मनुष्य रूप में भावनाहीन रोबोट था। यह मंजर देख जैसे सोचने की शक्ति पर फाजिल गिर गया। 

बाद में औरतों और बच्चों को सीरिया के मौसल व रक्का ले जाया गया जो उन्होंने पहले ही जीत लिए थे। रक्का को उन्होंने अपना गढ़ बना लिया था जहाँ से वे ऑपरेट करते थे।

 रक्का में हनीफ़ा को एक यज़ीदी लड़की मागबौला मिली जिसको 17 साल की उम्र में अपहरण कर गुलाम बना लिया था। उन्होंने उसे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया, पीटा और जान से मारने की धमकी दी। मागबौला ने बताया “जब मैं उठी तो मेरे शरीर पर चोट के निशान थे और मेरे पूरे कपड़ों पर खून था, मैंने कई बार खुद को मारने की कोशिश की, लेकिन मैं सफल नहीं हुई । उन्होंने मेरे साथ बार-बार बलात्कार किया।‘ उसने आगे बताया कि रक्का में यज़ीदी लड़कियों को बेचने के लिए एक बाज़ार था। उस बाज़ार में हर लड़की के गले में उसकी तस्वीर और नाम होता था कुछ लड़कियों को एक दिन के लिए किराए पर भी दे दिया जाता था। हनीफ़ा यह सुनकर सिहर गई।

 रक्का से लड़कों को ट्रैनिंग केंप में ले जाया गया जहां उन्हें इस्लाम की तालिम के साथ जेहादी लड़ाके बनाने की ट्रैनिंग दी जानी थी।

बंधक बनाई बहुत सी औरतों और लड़कियों को बेच दिया। बाकी को सेक्स गुलाम बना दिया। हनीफ़ा भी उनमें से थी। आतंकी उनका रोज बलात्कार करते, यहाँ तक की दस साल की लड़कियों को भी नहीं छोड़ते थे।

 येजदी औरतों को जबरन इस्लाम कबूल करवाकर आतंकियों से निकाह करना पड़ता। हनीफ़ा का जिससे निकाह हुआ वह उसे चैन से बांधकर रखता था जब आता तो चैन खोल देता। कुछ महीने बाद पता चला वह पेट से है, वह कितनी बदकिस्मत थी कि उसे आतंकी के बेटे / बेटी को जन्म देना पड़ेगा। बेटा हुआ तो जेहादी बनेगा और लड़की हुई तो सेक्स गुलाम बनेगी क्योंकि उनके लिए इस रिश्ते का कोई मतलब नहीं है।    

 

अमेरिका की स्पेशल फोर्सेस ने इस्लामिक स्टेट को हराया तब अन्य के साथ हनीफ़ा भी मुक्त हुई क्या अब वह सामान्य तरीके से जी पायेगी ?     


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