आदिम युग
आदिम युग


इस लॉक डाउन में आप लोगो को कुछ अजीब सा नहीं लग रहा है,अजीब सी बेचैनी ,हर शख्स रूठा सा बेगाना सा बस आपने में जिया जा रहा है, लाशों की सियासत हो रही हो जैसे। बस हर आदमी डरा डरा सा अपने जान की फ़िक्र में की हमे छूत ना लग जाये बस अपनी जिंदगी अपना परिवार बस अपना ही अपना ही अपना ,अपना पेट भर रहा है। बाकी कौन भूखा है मेरी बला से बस अपना घर भर लो,अवसाद से घिरा हुआ,जबकि आज के इस महामारी में लोगो को हमलोगों की जरूरत है, हम अकेले तो सब कुछ नहीं कर सकते तो मदद की गुहार लगाते है
7);">। तो कुछ लोग मदद करना दूर फोन उठाना ही बंद कर देते है, या बहुत हुआ तो हम पर सवालिया निशान लगा देते है। हाँलाकि हम एहतियात बहुत बरतते है पर हम को लगता कि किसी के लिये जान देना बेहतर है ना कि खामोश मौत। बस यही लगता है हम आदिम युग में आ गये है ना कि अधुनिक युग में रह रहे है। बस आप लोगो से यही कहना चाहते कि कोई मदद के लिये हाथ बढ़ाये तो उसकी मदद करे यह कर्म आपके साथ ही जायेगा स्वस्थ रहे सुरक्षित रहे ।