आध्यात्मिक युगपुरुष
आध्यात्मिक युगपुरुष
ऐसी क्या बात थी क्रिष्णा में जो ब्रह्मांड के धरती, अंबर, सुरज, चाँद, सितारे ,कृष्ण को एक नजर देखने के लिए लिए लालायित रहते थे। सागर, सरिता, झरने पहाड़ी, गुफाएं, कंदराए सभी को कृष्णजी की एक एक झलक का इंतजार होता था, वृक्ष,पेड़,फूलों को,जानवर हो या पशु पक्षी सभी को गोपालकृष्ण से अप्रतिम लगाव तथा प्रेम था। मनुष्य जाती मे संतों की साहित्यकारों की गुजरिया सभी की दुनिया कृष्ण प्रेम में शुरू होती है। गीतों में भजनों में कीर्तन में पूरी तरह विलीन होकर रच बस गए हैं। यह बालकृष्ण की जादूगरी जगत की अनहोनी आश्चर्यचकित होने वाली घटनाएँ थी। जो देखता बस वही मंत्रमुग्ध होकर रह जाता कृष्णा में सम्मोहन शक्ति का प्रखर तेज था या कुछ और शक्ति थी सचमुच मनुष्य की सुदबुदही खोजाती थी ऐसे श्रीकृष्ण को बाहर नहीं तो दिलमे पनाह मिलती है ।यह बाल गोपाल अंतरंग में झरने की तरह झर झरकर आनंदोत्सव में परावर्तित करता है।हमे हमारे घर में बालकों में क्रिष्णा दिखाई देता है।
श्रीकृष्ण एक अवतारी पुरुष थे उन्होंने अपने कार्य से दुनिया को दिखा दिया कि एक पुरुष धरती पर जन्म लेकर ईश्वरीय शक्ति कैसे प्राप्त कर परिपूर्ण हो सकता है और यह मनुष्य अतुलित बलशाली तथा अपार गुणों का खजाना है। हम प्रबुद्ध मानव नहीं समझ पाते हैं। यह सब हमारे मानव के लिए ही तो किया है संसार के अनंत महासागर में डूबना तैरना सिखाया है। उनकी हर लहजे में अक्षय साधना छिपी हुई है और कितने लोगों ने कृष्ण प्रेम में अपना संसार त्याग दिया है। जटिल से जटिल प्रश्नों का उत्तर आपको श्रीभगवत गीताजी में मिलता है।
हम श्रीकृष्ण के चरित्र को दृष्टि से ना देखकर मन की आँखों से ज़रूर देखें श्री कृष्ण के शरीर के हर एक अंग को दिव्य लक्षण का एहसास होगा कृष्णा की बांसुरी ,गले की वैजयंती माला, पितांबर ,मुकुट और मोर पंख हर एक चीज की अलग अलग कहानी है। इसे हम शब्दों में बखान नहीं कर सकते।श्रीबालगोपाल ने सारे विश्व को अपनी अगाध लीला से मुग्ध मोहित कर अथाह लीला का परिचय दिया है। श्री कृष्ण का नाता सभी से रहा है चाहे वह ग़रीब हो या अमीर, पापी हो या पुण्यवान ,क्रोधी हो या कोमल ब्रह्मचारी हो या भोगी हो ,रिश्तेदार हो या दुश्मन हो, व्यापारी हो या व्यभिचारी हो समाज सेवा में सबसे निराले और सबसे आगे जब जब जनता पर मुसीबत आई उन्होंने मदद करने में देर नही की करते हुए तुरंत उस आपत्ति का विनाश किया और अपने जनता को सकुशल बचाया। इसलिए वह युगपुरुष परावर्ती राजा कहलवाया।
जब कालिया नाग से सब डरे हुए थे तभी छोटे से बालक क्रिष्णा ने उसे मार गिराया था। कहते हैं जब इंद्र की कुदृष्टि से पूरा वृंदावन धाम जलमग्न हुआ था तब गोवर्धनपर्वत अपने उंगली पर उठाकर उसके नीचे सभी परिवार समाज को सुरक्षित किया था। श्रीकृष्णा अनंत शक्ति का एक जीता जागता अद्वितीय, करिश्मा था। श्रीकृष्णा जैसा ना कोई हुआ ना कभी होगा। जब अनेक राक्षसों का उपद्रव जब हुआ तब श्री कृष्णा नेजनता को तात्काल बचाया। भरी सभा मे द्रोपदी की लाज बचाई गरीब सुदामा को गले लगाया। कंस मामा के अत्याचार और दुराचार को मिटाया।
राधा का तो वह शाम कहलाया, मीरा का वह नटवर नागर ,ग्वालों का गिरिधर गोपाल , कहलाया यशोदा का कान्हा, नंदका नंदलाला यह साधारण दिखनेवाला बालक सभी के दिल में ह्रदय में जा बैठा,5 से 6 हजार वर्षों बाद भी छोटेसे बड़े तक आज भी वैसे ही याद करते हैं जैसे उस युगमें चाहते थे और आज भी करोड़ों के तादाद में मनुष्यों ने अपने सांसों में बसा रखा है। खाते, पीते , सोते बैठते, बोलते जहां देखो वहां कृष्णा का सुमिरन करते है। है ना कमाल की बात कितनी अजीबो ग़रीब दास्तान है इस कृष्ण नाम की , कितनी श्रद्धा ,भक्ति समाई है इतनी ज्यादा लोकप्रियता आजतक किसी को भी नहीं मिली होगी।कहते हैं जब बाल कृष्ण अपने छोटे से बालरूप में बहुत नटखट थे । सब को लुभाते थे।सबसे ज्यादा राधा के करीब होने की वजह से बाकी गुजरिया जलन की शिकार थी।मगर वह भी कृष्ण को बहुत ज्यादा प्यार करती थी।आज समाज में कृष्ण लीला को विभस्य रूप दिखा कर गुमराह किया जारहा है।छोटे से कान्हा जब बड़ी युवती राधा के साथ रास रचाते,खेलते प्यार करते वह पवित्र निर्मल भाव था वहां वासना नही थी।लेकिन यह बात हम मनुष्य नहीं समझ पाते और तरह-तरह की चित्रों में, नाटकों में या फिल्मों में लव स्टोरी ऐसे दिखाते हैं की आज की जनता वही सच मानकर वैसा ही करना चाहती है यह बेहद जिल्लतवाली बात है।
श्री कृष्णा आध्यात्मिक युगपुरुष के रूप में चर्चित और गीता रहस्य की गुत्थीयाँ खोलकर आध्यात्मिक ज्ञान का महासागर अमृत से भर दिया तथा समाज कल्याण के लिए उपयुक्त सर्वज्ञ गीता ज्ञान का प्रयोग हम ,मंदबुद्धि यों के लिए अनंत अध्यात्मका सरीतप्रवाह देकर हमारा कायाकल्प किया।जैसे श्रीकृष्णा ने अर्जुन का मार्गदर्शन किया कुछ ही घंटों में उन्हें मोह, शोक मृत्यु भय से दूर किया उसी तरह मनुष्यको लोभ, मोह, माया,शोक मृत्यु से परे कर कर मोक्षतक जाने की आनंदमई राह बताई और निडर, भयमुक्त जीवन जीनेका सरल मार्ग दृष्टिगोचर किया। अनेकों संतों ने महात्माओं ने उनका रसमय आराधना गीतों में रचा अनुनय विनय की.जैसे वीणा की तार झंकारती है वैसे ह्रदय की झंकार से इतने सुंदर भावपूर्ण गीतों की रचना की ,की सुनने वालों को भी साक्षात श्री कृष्ण के दर्शन हो जाए।
कोमल भावनाओं से परिपूर्ण कृष्णका हर एक कार्यक्षेत्र में तालमेल होता था वह कोई भी क्षेत्र हो का हर दिन नया संघर्ष किया। अतुलित बलशाली कंस को कृष्णाने अपने चतुराई से धराशाई कर पाप का विनाश करने का सामर्थ्य दिखाया था। महाभारत में कौरव पांडवोके युद्ध में कुरुक्षेत्र में अर्जुन के सारथी बने कभी अहंकार नही किया कभी किसी का अहित नही किया निर्भय बन सारे संसार पर छाए रहे। जीवात्मा को शांतीभरा जीवन दिया था।
सम्मान प्रतिष्ठा या किसी बात का गर्व उन्हें नही था।सदा , निरंकारी बने रहे।ध र्म युद्ध के बीच कई प्रकार दुश्मनोंके कटु वचन सुनकरभी अनदेखा किया, समग्र निष्ठाको लेकर ज्ञान के पथ पर चलकर नीति नियम, धर्माचरण सिखाया।तभी परमात्मा कहलाए।उन्होंने स्वयं अपने जीवन के हर छवी को उसकी शक्ती के निर्विकार रूपके साथ स्वीकार किया तथा मनुष्य को सर्वधर्मसमभावसे जीने की राह दिखाई। दुष्टात्माओसे मुक्त किया और अर्जुन का सारथ्य करकर मानवता को सन्मार्ग दिखाया।