Meenakshi Kilawat

Drama

5.0  

Meenakshi Kilawat

Drama

अपना नारीत्व जागृत करो

अपना नारीत्व जागृत करो

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आज की नारीको "नारीत्व जागृत करने की जरूरत है"

और हां संगठित होने की आवश्यकता है अत्याचार सहन करनेकी क्षमता अब खत्म होती जा रही है, जब भी 8 मार्च को महिला दिवस आता है तो मन में अजीब से प्रश्नों का तांता लग जाता है ऐसे अनेकों घाव इसी समाजने नारीको दिए है इसके बदौलत कई नारियोंको कराहकर असंख्य पीड़ा झेलकर चुपचाप जीवन जीना पड रहा है ऐसी में स्त्री जाति की आहे गुंजती है, और हम देखतेही रह जाते है, क्या उनके दुख दर्द हमारे लिए क्या कोई मायने नही रखते ?

आजभी नारी की इज्जत दांवपर लगी है, कुछेक लोग महिलाओं को इक सामानसे ज्यादा समझते नही और उनकी कुछ विशेष पहचान बन जाती है तो उसकी कुछ 

 लोग जलते है उन्हे बदनाम करते है,

 बेटियोके शिक्षाको लेकर समाज जागृत हो चुका है, मॉबाप किसीभी हालातमें उन्हे शिक्षित करते है लेकिन क्या सही मायनेमे उस शिक्षा-दीक्षा का सही उपयोग हो रहा है? यह जलता प्रश्न हमारे सामने खडा है और हम कुछ भी नही कर पा रहे है। हम सभी महिलाओको अपना हक जान लेना चाहिए, हमारा हक क्या है और हमे क्या करना चाहिए । 

देखा जाए तो पुरातन काल में राज दरबार गजानेवाली राज्यका शासन चलानेवाली राणी महाराणी का पद विभूषीत करने वाली की आज क्या दशा हो रही है,

 उस देवीरूपा नारी की दयनीय स्थिति देखकर दिल दहल जाता है, आजके नए युगमे भी वह अपने आप को बचा नहीं सकती इस विकट भयग्रस्त जीवन जीनेको क्या क्या कहेंगे!

 यहां बलात्कार, जबरदस्ती जैसी ऐसी अनेको घटनांए नारी को कमजोर बना रही है और हम हम कुछ नहीं कर सकते महिला दिवस पर बड़ी-बड़ी बातें कर मन को बहलाते हैं और रिसता हुआ जख्म लेकर स्टैचू की तरह सुनते रहते हैं, इस समाज में इतनी भृनहत्याए हो रही है बेटीयोकी संख्या कम होती जा रही है, हम क्या कर रहे है बेटो के चक्करमे बेटीयोको पेटमेंही मार रहे है और वेभी जगतजननी कहलानेवाली नारीही अपने बेटीयोको खत्म करनेमें लगी है यहं बहुत बड़ी नासमझी है यहं कैसी शिक्षित महिला है जो कि अपने नारी जात की अवहेलना करती है और अपने ही कोख अपने खुनमासकों मार देती है, यह समाज स्त्री भ्रूण हत्याको नही रोक सकता क्योंकी उन्हे कुलदिपक चाहिए होता है, लेकिन अगर उसी कुलदिपकको हवसकी आग बुझाने कोई लडकी नहीं मिलती तो वे किसीकी बहन बेटीयोपर बलात्कार करते है और उन्हे मार देते है।

अगर हम चाहाते तो ऐसी अनहोनी घटनाओको रोक सकते हैं, अगर हम बिटिया को जन्म देते हैं तो उनकी की संख्या में बढ़ोतरी आएगी वातावरनका समतोल नहीं बिगड़ेगा गर्भ स्त्री भून हत्या विषमता पैदा कर रही है यही हाल रहा तो कुछ दिनों में और हमारी बेटियां सुरक्षित नही रहेगी, और समाज में नारीजातिका पतन निश्चित है।

समााजमें यह विकृति बढतीही जा रही है, अब हमे चुप बैठना नही है कुछ कर दिखाना है, पानी सरसे उपर जा रहा है, हमारा सन्मान हमपर हंस रहा है। 

यह समाज अंधविश्वास की खाई में डूबते जा रहा है हमें यह विकृति समाजसे कुछ ज्यादा ही अपेक्षाएं रखते हैं, इसी समाज में अगर किसी लड़की पर अत्याचार होता है तो मुख ताकते रह जाते हैं, यहां एक नहीं कई निर्भया को जलाया गया है, यह शिक्षा दीक्षा कुछ भी काम नहीं आती है, उस बेटी पर अनेकों लांछन लगाए जाते हैं, उनके कपड़ों को और व्यवहार को दोष देते रहते हैं।इस विकृत समाज को क्या कहेंगे ?

 महाराष्ट्र मे फिलहाल हुई घटनाको देखकर हम सभी सकतेमें आगए कुछ दिन पहलेकी बात है एक तरफा प्रेमके चक्कर में एक लड़के ने इक लड़कीको पेट्रोल छिड़ककर जला दिया वह लड़की महाविद्यालय में अध्यापिका थी, जब उसे जलाया गया चारों ओर से देखनेवालोकी भीड जमा हो गई थी कोई वीडियो तो कोई फोटे ले रहे थे लेकिन पलमे देखते ही देखते उसे जला दिया गया, उस लड़कीको बचाया नही जा सका वह मौतके आगोशमें चली गई, क्या गुनाह किया था उस लड़कीने जो उसे वह विक्षिप्त लडकेने जला दिया था।

 एक नहीं अनेक प्रकरण दिन उजालेमें ही बलात्कार होते जा रहे हैं यहां कोई फैशनपर उंगलिया दिखाते है, कोई कम कपड़े ना पहननेकी सिख देता है, इस बातसे क्या कोई वास्ता दिखाई नहीं देता क्योंकि कपड़े छोटे है या बडे हो देखनेवालोकी नजरोंमेंही खराबी है यहांतो हरपल नजरोंसे भी बलात्कार होते हैं उसे क्या कहेंगे हम, इन्ही सभी बातोका नजरिया देखते हुए भारतीय नारी एक बार नही, कई कई बार मरती है।

इक महिलापर अत्याचार होने पर परिवारवालोका रवैया कुछ और ही होता है बदनामी के डरसे घर में चुपचाप बैठे रहते है, पुलिस में कंप्लेंट करते नही हैं, वह जानते हैं कि बदनामी के अलावा और कुछ ना मिलेगा, यह समाज मदद करने की बजाय कुछ अलग बर्ताव करता है, आश्चर्यचकित नजरों से निहारता है, जिस स्त्री पर बलात्कार हुआ है उसके तो नसीब ही रूठ जाते हैं,

जीवन में अंधकार समा जाता है वह भयभीत डरी सहमी 

जैसे कुछ उसी ने जानबूझकर यह सब करवाया है, या फिर उसने बहुत बड़ा गुनाह किया है, यह चित्र कब बदलेगा इस नारीजातिको कौनसा दंड दिया जाता रहा है। उन्हें कब न्याय मिलेगा। शासन के कायदे कानून भी कमजोर नजर आते हैं 

वैसेही यहांपर बीमारी होनेपरही इलाज होता है पहले करने की कोई भी कोशिश नहीं करता कोई खबरदारी नहीं ली जाती इसलिए हम महिलाओं को सतर्क रहने की जरूरत है हमे अपने बेटियोंको समर्थ बनाना है, उन्हें समझाए कि इक स्त्री का शील कितना महत्व होता है उसे बचाना स्वयंका कर्तव्य है इसतरह समझाना चाहिए की उन बेटियों का मनोबल ना गिरे, उन्हें किसी बात से भयभीत ना करें, उन्हें बंदिश में ना रखे।

 यहां बालिका से लेकर वृद्ध महिला भी वासना की शिकार बनती जा रही है समाजमें की गुंडागर्दी, छीना झपटी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है हमें चाहिए हम अपने बालिकाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें स्ट्रांग बनाएं, उनकी ऊंची उड़ान भरने के लिए उनका कंधा बने, उन्हें हम समर्थ और स्वाभिमानी बनाएं वैसे भी इस प्रगति शील देश में नारी जाति कहां से कहां जा रही है चांद पर भी पहुंच गई है उन्हे कम लेखना और उनका सम्मान होना चाहिए अपमान नहीं, वैसे तो वाकई में नारी जात हिम्मतवाली है ही, उनमे माया करुणा भरी होती है कितनाभी कठिन समय हो पीछे नहीं हटती, उनकी सहनशिलता की मिसाल दी जाती है, हम सब साक्षात भगवती देवी की पूजा आराधना करते हैं, हम नारी उसी देवी का अंश है, इन तत्वोंको अपनाकर इसी तरह भाव भाव जागृत करना चाहिए, देवी के रूपमें में हम स्वयं को देखें और कल्पना करेके शूर, निडर, पराक्रमी, बलशाली और सामर्थ्यशाली बनकर दिखाए।

हमें अपने अंदरकी शक्तिको क्षमताको पहचानकर अपनी अलग पहचान बनाना है अपना अस्तित्व बचाना है, हमें अपनी खबरदारी खुद ही लेनी है अब और हम अपने आप को धोखे में नहीं रख सकते, हमें स्वयं सिद्धा बनकर दिखाना है, तभी यहां महिला दिवसकी सुचकता सार्थक होगी, मेरी बहनों पहचानो अपने आप को संगठित होकर अपना नारीत्व जागृत करनेका प्रयत्न करो, यही मेरी महिला दिवस पर आप सभी माता बहनोंकोे शुभेच्छा है।


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