STORYMIRROR

Ashutosh Shrivastwa

Romance

3  

Ashutosh Shrivastwa

Romance

8 वीं वाला इश्क़

8 वीं वाला इश्क़

2 mins
334

एक दशक के बाद घर जाने का सिलसिला शुरु हुआ था।

लगभग 1500 किलोमीटर का सफर तो 2 घंटे में एयरइंडिया ने पूरी कर दी थी, लेकिन उसके बाद के 100 किलोमीटर का सफर उस बस से मुझे भारी पड़ रहा था। वही रास्ते,वही बस, लेकिन मै जरा बदला हुआ 

आज भी वो बस स्टैंड के पास वाली चाय की दुकान वही थी,और उससे आज भी इलायची की खुशबू वैसी ही थी जैसे 10 साल पहले थी। हाथ में एक भारी सा ट्रॉली बैग लेकर चुप चप बढ़ने लगा घर की तरफ चेहरे थे जाने पहचाने से बस थोड़े बूढ़े हो गए थे।

गलियां भी वैसी थी, वो जो पुराना खंभा लगाया था सरकार ने बिजली के लिए वो आज भी खाली था कमाल है ना। वो दीवार भी वही थी, वही वकील चाचा की चारदीवारी जिसपे हम दोस्त सूसू के पेंचे लड़ाते थे और एक दिन वकील चाचा की बेटी ने हमारे ऊपर छत से कचरा फेंक दिया था।

फिर ना जाने कही से एक खुस्बू आयी,और मेरे पैर रुक गए, ताज़ी सी खुशबू सुबह सुबह जैसे फिर से उसने बालो में sunsilk शैंपू लगाए थे। उस मोड़ पर रुक कर,आंखे बंद कर के महसूस कर रहा था उसे 

8वी में था उस वक़्त,स्कूल के बाद रोज उसके पीछे पीछे उसके घर तक आता था। पलटकर मुस्कुरा कर अंदर चली जाती थी, कभी बात नहीं की थी उससे, बस एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते थे इश्क़ था वो 8 वी वाला इश्क़

उसी लैंप पोस्ट के नीचे खड़ा होकर घंटो उसके बालकनी में आने का इंतजार करता था,खिड़की से देखती थी वो जानबूझकर देर से आती थी, मेरा इंतज़ार करना शायद उसे पसंद था। 

मेरे जाने की खबर कहीं से मिल गई थी उसे,मंटू ने आकर कहा था कि जा इंतजार कर रही है। उस दिन मैंने रास्ता बदल दिया, नहीं देख सकता था उसे उदास। 

चला गया चुप चाप से। ढूंढा तो होगा उसने मै नहीं मिला फिर।

पीछे से गाड़ी का हॉर्न बजा,और मेरी आंखे खुल गई। एकाएक ऊपर देखा तो वही मुस्कुराता हुआ चेहरा था सामने, शैंपू कर के बालो को तौलिए से बांध रखा था। पहले से भी कई ज्यादा खूबसूरत

मुझे घूरता देखकर अंदर चली गई। नहीं पहचाना मुझे कैसे पहचानती। ऐसे ही चला जाता हूं मैं, अचानक से, गायब फितरत मेरी ' वक़्त' सी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance