वो जो हममे तुममे करार था
वो जो हममे तुममे करार था
"जाओ पापा की उंगली पकड़ो"
इतना सुनना था की मुझे मेरी हाथ की छोटी ऊँगली में एक छोटी सी ऊँगली का फसना सा महसूस हुआ। तनुजा मेरी बेटी।
एक हाथ में "बूढी के बाल" वाली मिठाई और दुसरे हाथ से मेरी उंगली पकड़ी थी। 3 साल की तो है बस , छोटे छोटे पैर और झूमते कदम , बस अभी अभी पूरी तरह से चलना सिखा था उसने।
ठीक वेसी ही गोल गोल सी आँखे है इसकी , और बाल इतने घुंघराले की इसकी मम्मी परेशान हो जाती है , शायद ये बड़ी होकर तुम जैसी दिखेगी जब खिलखिला के हंसती है तो लगता है जैसे एक पतंग आज़ादी से आसमान में उड़ रही हो तुम जैसी ही है बोलने लगता हूँ तो बोलने नहीं देती, अपने छोटे छोटे हाथो से मेरे होठों को पकड़ के चुप करा देती है और खुद बोलने लग जाती है।
याद है !!! वो जो तुमने कहा था की 'हाथ न छोड़ना'
तनूजा बिलकुल तुम जैसी है ,और मैंने इसका हाथ थाम रखा है।
मैंने अभी तक नहीं तोड़ा "वो जो हममे तुममे करार था।"