रायता
रायता
जिंदगी बिल्कुल एक फिल्म सी हो गई है, पता नहीं आपने देखा है या नहीं, "बृज मोहन अमर रहे।" रोमांचित फिल्म.. जिसे देखकर दूसरों को मज़ा तो बहुत आएगा, उत्सुकता में कुछ एक रिश्तेदार पॉपकॉर्न कि बाल्टी लेकर बैठेंगे देखने।
लेकिन भैया दर्द उन्हीं से पूछो जिनके डंडा गया है अंदर। कसम से, उस डंडे की परिधि, व्यास, त्रिज्या और क्षेत्रफल नापते नापते ही सारी क्षेत्रमिति और दर्द की इंटेंसिटी नापते नापते सारी अभियांत्रिकी का ब्रह्माण्ड दिखने लगता है।
और इंसेक्योरटी तो इस कदर छाया है दिमाग में, की बिस्तर पर अपना फेवरेट कोना और तकिया तक अपने रूममेट से शेयर करने में दर लगता है।
और करियर तो भाईसाहब माशाअल्लाह.... समझ नहीं आता कि इंजिनियर बना, लेखक बना या शैतान बना।
खैर, आप लुत्फ उठाइए।
अरे एक चीज तो बताना ही भूल गया.. आजकल मेरे उम्र के हिसाब से मेरी कथित चाची और मामी, जो कि कुछ सालों से लापता थे, मेरे स्व्यंबर का जिम्मा अपने कंधे पे ले चुकी है। रोज एक मेनका पसंद कि जाती है मेरे लिए। आए हाय हाए....
अपनी व्यथा आगे भी ऐसे ही सुनाते रहूंगा। आप पॉपकॉर्न की बाल्टी लेकर तैयार रहो।
