ARUN DHARMAWAT

Romance Inspirational

1.7  

ARUN DHARMAWAT

Romance Inspirational

17. "और उसके बाद"

17. "और उसके बाद"

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एक ज़ोर का धमाका हुआ और उसके बाद क्या हुआ डेविड को पता नहीं । होश आया तो अपने आपको अस्पताल के बिस्तर पर पाया । जैसे जैसे चेतना लौटी तो पता चला बम निष्क्रिय करते समय हुए धमाके में दोनों बाजू और दोनों पांव उड़ चुके थे । शेष बची थी एक देह, धड़कते हृदय के साथ और अंतहीन जीवन । 


एक बहादुर और हौसलामंद सैनिक होने के नाते अपने आपको जीवन के महासमर के लिए तैयार करने की चुनौती तो थी ही साथ ही उस जज़्बे को भी बरकरार रखने की कठिन परीक्षा थी ।


डेविड एक जाबांज सैनिक के साथ साथ अति कुशल कमांडो भी था जिसे छुपा कर रखे गए बम को निष्क्रिय करने की विशेषज्ञता हासिल थी । आतंकियों द्वारा ज़मीन अथवा अन्य स्थानों पर छुपा कर रखे गए आधुनिक किस्म के विस्फोटकों से लैस एवम उन्नत तकनीक से विकसित किये गए बेहद खतरनाक बम को निष्क्रिय करने का लंबा अनुभव था इस कारण उसे आतंक के सबसे खतरनाक इलाके में नियुक्त किया गया था ।


बिस्तर पर पड़े पड़े डेविड की आंखों के सामने उस भयानक मंजर की याद ताजा थी तो एक मुस्कुराता खिलखिलाता चेहरा भी याद आ रहा था । 

नैंसी .... हाँ वही तो थी उसके दिल की धड़कन उसकी जान उसकी जिंदगी उसकी जीवंतता सब कुछ । नैंसी की मृदुल मुस्कान में डेविड अपने खतरनाक और जोखिम भरे काम को भी भूल कर सहज हो जाता था ।


इस बार छुट्टियों के बाद पुनः मोर्चे पर लौटते समय नैंसी से वादा करके आया था वो ...

"नैंसी डियर ....उदास मत होना, अबकी बार आऊंगा तो हम हमेशा हमेशा के लिए एक हो जाएंगे ।"

ये कहते हुए डेविड ने नैंसी का मुलायम हाथ अपने हाथ मे ले कर हौले हौले से सहलाया और उस सुकून भरे स्पर्श के साथ 'रिंग' पहना दी । हमेशा हँसती मुस्कुराती खिलखिलाती रहने वाली नैंसी बेहद भावुक हो कर डेविड से लिपट गई और गले लग कर रो पड़ी ।


"ओह डेविड ... माई लव, अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती, तुम जल्दी आना । तुम्हारे बगैर एक एक पल एक युग जैसा लगता है । अब तुम से दूर नहीं रह सकती, लव यू डेविड..... ।"


उसकी छलकती आँखों को देख कर डेविड ने कहा था ..

देखो तुम ऐसे रोने लगोगी तो

मैं जा नही पाऊंगा .... मुझे हँस कर विदा करो और नैंसी मुस्कुरा दी । नैंसी को बेहताशा याद करते करते डेविड अपना दर्द भूल गया । उसे लगा मानो आकाश से उड़ती हुई नैंसी उससे मिलने आ रही है और वो भी सब भूल कर अपनी बाहें फैलाये मिलने को उड़ चला है ।

 

डेविड आज शिद्दत से नैंसी को याद कर रहा है लेकिन वो जानता है नैंसी अब उसकी जिंदगी में कभी वापस नहीं आएगी । एक अपंग लाचार अपाहिज़ से कौन लड़की जीवन भर का साथ निभाएगी । इसीलिए तो इस हादसे के बाद उसने नैंसी को फोन भी नहीं किया ।


ख्वाबों ख़यालों में खोए हुए डेविड को लगा कोई कोमल हाथ उसके ललाट को सहला रहा है .... इस स्पर्श को वो पहचानता है लेकिन विश्वास नहीं हो रहा था कि ये वही हाथ है । 


आँखे खोलो डेविड ... आँखे खोलो .... देखो तो .....जैसे ही डेविड ने आँखे खोली उसे लगा वो सपना देख रहा है । 

डेविड ....मैं हूँ तुम्हारी नैंसी । तुमने क्या सोचा था तुम्हारी इस हालत को देख कर तुम्हें छोड़ दूंगी, तुम्हें भूल जाऊंगी ।

नहीं डेविड नहीं मैंने तुम्हारी देह से नहीं तुम्हारी रूह से प्यार किया है । हाँ डेविड देह का प्यार तो वासना है जो वक़्त के साथ साथ ढलता जाएगा लेकिन हमारा ये रूहानी प्रेम कभी खत्म नहीं होगा ....कभी नहीं । डेविड मैं तुमसे शादी करूंगी जरूर करूंगी । 


दोनों गले लग कर बहुत देर तक रोते रहे ..... रोते रहे ....!!



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