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Praveen Gola

Tragedy

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Praveen Gola

Tragedy

ज़ख्म

ज़ख्म

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ज़ख्म रिस - रिस के ....तेरे इश्क की गवाही माँगे ,

दर्द को साथ ले ....दर्द की निशानी माँगे!

हमको ये इल्म ना था ...कि इस तरह हम ठगेंगे ऐसे ,

दर्द और इश्क एक साथ ...अपनी कहानी माँगे!

एक गुनाह हमने किया ...जिसकी सज़ा ज़ख्मों से मिली ,

ना मिला इश्क पूरा ,ना मिली सपनों की गली!

ज़ख्म खुल गए रिसने को ,तेरे नाम के साथ ,

सिर्फ ये दिल सुने ,तेरे - मेरे किस्से की फरियाद!

ज़माना आज भी पूछे ...कि उसका नाम बता ,

जो तेरे ज़ख्मों का साथी बना ,तू जिसका नाम ले सदा!

मैं हँस के तब सोचूँ ,कि तू कितना है बड़ा ,

जिसे ज़ख्म देने पर भी ,ये दिल सदा देता है दुआ!!



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