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Ruchika Nath

Classics Drama Inspirational

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Ruchika Nath

Classics Drama Inspirational

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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अपने आप में ही

कितना पूरा है यह शब्द,

पर फिर भी हम कहते हैं

कैसी आधी अधुरी सी ज़िन्दगी है हमारी।


कल रात यूँ ही एक ख्याल आया,

क्यों न ज़िन्दगी से आज थोड़ी बात की जाए,

ज़िन्दगी कितनी नामुक़्कमल और

कितनी मुक्कमल है, ये फ़रमाया जाये।


हुजूर की जो मर्ज़ी हो

हमारी ज़िन्दगी में तो बस वही होता है

हमारी मर्ज़ी का तो असर कम ही होता है।


फिर सोचा क्यों ना ज़िन्दगी को

एक चुनौती दी जाए,

तू अगर हार नहीं मानती तो

भला हम हार क्यों मानें।


खुद से बहुत लड़ लिये

अब क्यों न तुझसे भी दो-दो हाथ हो जाए,

पर अफसोस ज़िन्दगी को तो

सिर्फ मौत हरा सकती है।


चल जाने देते हैं

कुछ तू अपनी चला ले

कुछ हमारी चलने दे,

थोड़ी तवज्जो तू हमें देना,

थोड़ी तवज्जो तू हमसे ले लेना।


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