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Renu kumari

Abstract Tragedy

4.5  

Renu kumari

Abstract Tragedy

ज़िन्दगी या प्यार

ज़िन्दगी या प्यार

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उस रोज़ रात में कुछ इस कदर तन्हा बैठी थी 

की एक शख्स ने मुझसे वो बात कही 

जिंदगी जीना आसान है मेरी जान और प्यार करना मुश्किल 

कहने लगा तू ज़िन्दगी को चुनना उस प्यार को नहीं 

प्यार के हाथों तो वो परिंदे भी बर्बाद हुए है 

ज़िन्दगी के रास्ते कुछ मिले न मिले   

पर प्यार के रास्ते तो बस दर्द ही मिला है 

मैंने अपनी अश्कों में भीगी पलकें उठाई

और मुस्कराते हुए कहा 


अगर ज़िन्दगी ही जीनी होती तो 

मैं भी दुनिया की उस भीड़ का हिस्सा होती 

आज मेरी कविताओं में उस मोहब्बत का जिक्र न होता 

और मेरी मोहब्बत को ठुकराने वाला यूँ बेफिक्र न होता 

अगर फैसला करना ही है मुझे तो में प्यार को चुनूंगी 

जिंदगी जीने से लोग बस एक बार मरते है में प्यार कर हर रोज़ मरूंगी 

आसान रास्ता चुन लूँ वो मेरी फितरत नहीं  

और कोई मेरी मोहब्बत को नीलाम कर दे ऐसी कोई तिजारत नहीं 

कह दो उन लोगों से जिन्हें दिल तोड़कर सुकून मिलता है 

आजमा ले अपना हुनर मुझपर 

अब चाहे इस जमीं पे ख़ुदा आए या संग क़यामत लाए 

मैं प्यार से मिले हर दर्द को सहूंगी 

मुझे सिर्फ एक कतरा प्यार का चाहिए 

अब चाहे मौत क्यों न आए मैं जिंदगी नहीं प्यार को चुनूँगी।


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