ज़िन्दगी की हरकत
ज़िन्दगी की हरकत
यूँ तो ज़िन्दगी के सवालों से हम उलझ रहे हैं !
यूँ तो मंज़िलों की तलाश में हम झुलस रहे हैं !
यूँ तो हमने सोचा ना था,
ज़िन्दगी में इतनी हरकत है !
यूँ तो खुशियों की तलाश में गम भी संग चल रहे हैं !
यूँ तो मुस्कुराने की वजह हम दर दर ढूँढ़ रहे हैं !
यूँ तो हमने सोचा ना था,
ज़िन्दगी में इतनी हरकत है !
यूँ तो ख्वाबों को हकीकत के धागों से पिरो रहे हैं !
यूँ तो जीतने की राह में हार को भी गले लगा रहे हैं !
यूँ तो हमने सोचा ना था,
ज़िन्दगी में इतनी हरकत है !
यूँ तो लम्हा-लम्हा में सारा वक़्त गुजर गया !
यूँ तो कल की फिक्र में जाने आज कब का बीत गया !
यूँ तो हमने सोचा ना था,
ज़िन्दगी में इतनी हरकत है !
ज़िन्दगी की हरकत क्या है ?
कि ज़िन्दगी कभी हँसाती है !
तो ज़िन्दगी कभी रुलाती है !
ज़िन्दगी कभी जगाती है !
तो ज़िन्दगी कभी सुलाती है !
ज़िन्दगी कभी शोर मचाती है !
तो ज़िन्दगी कभी चुप हो जाती है !
ज़िन्दगी कभी दौड़ती है !
तो ज़िन्दगी कभी थम जाती है !
ज़िन्दगी की यही हरकत है !
जो एक समान किसी के लिए नहीं होती !
जो एक समान किसी के लिए नहीं होती !