"ज़िन्दगी" एक खुली किताब
"ज़िन्दगी" एक खुली किताब
अरमानों का एहसानों का,
बनते बिगड़ते अहसासों का,
इक सुंदर हिसाब है जिंदगी।
पलटता फलसफा हर रोज़ है जिसमें,
इक खुली किताब है जिंदगी।।
नया किस्सा, नया अफसाना,
खुशियों गमों का अंबार है जिंदगी।
कभी हंसना, कभी रोना,
कभी मिलना, कभी बिछुड़ना।
छिपा कर रखती राज़ कई,
ऐसी इक हिज़ाब है जिंदगी।
पलटता फ़लसफ़ा हर रोज़ है जिसमें,
एक ऐसी खुली किताब है जिंदगी ।