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Adarsh Kumar

Abstract

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Adarsh Kumar

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Zindagi

Zindagi

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ख्वाबों के लिए क्या रोना है

अरे, जो होना है वो तो होना है,


मुसव्विर ने

यूं जो इन कोरे कागज़ों में

चांद की चांदनी बिखेरी है


ऐसा लगता है ये चांद इनके

हाथ का इक खिलौना है..!


गुफ्तगू कभी खुद से भी

किया कीजिए जनाब

ख़ैर जो होना है वो तो होना है !


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