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Aryavart Prakash

Romance

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Aryavart Prakash

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ज़हर मीठा इश्क़ का

ज़हर मीठा इश्क़ का

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ये ज़हर मीठा इश्क़ का मैंने ही बोया है,

सितम तेरे इश्क़ का मैंने भी ढोया है।।


तुम्हारी मोहब्बत की चाहत में, तुम्हें नहीं पता,

हमने ज़माने में अपना क्या-क्या खोया है।।


बिछड़ने की चाहत तो थी ही नहीं तुमसे,

दिल तेरी याद में न जाने कितना रोया है।।


तुने मुझे भी मार दिया तेरा बहुत शुक्रिया,

तेरा इश्क़ मुझ में ज़ालिम, अब तक न सोया है।।


कपड़े को हो गयी थी कुछ दागों से मोहब्बत,

"आर्या"धोबी ने बड़े अच्छे से कपड़ों को धोया है।।



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