ज़हर मीठा इश्क़ का
ज़हर मीठा इश्क़ का


ये ज़हर मीठा इश्क़ का मैंने ही बोया है,
सितम तेरे इश्क़ का मैंने भी ढोया है।।
तुम्हारी मोहब्बत की चाहत में, तुम्हें नहीं पता,
हमने ज़माने में अपना क्या-क्या खोया है।।
बिछड़ने की चाहत तो थी ही नहीं तुमसे,
दिल तेरी याद में न जाने कितना रोया है।।
तुने मुझे भी मार दिया तेरा बहुत शुक्रिया,
तेरा इश्क़ मुझ में ज़ालिम, अब तक न सोया है।।
कपड़े को हो गयी थी कुछ दागों से मोहब्बत,
"आर्या"धोबी ने बड़े अच्छे से कपड़ों को धोया है।।