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SARVESH KUMAR MARUT

Abstract

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SARVESH KUMAR MARUT

Abstract

यूँ सूरज बन के निकला है

यूँ सूरज बन के निकला है

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यूँ सूरज बन के निकला है,

लगा कर होंठों पर लाली।

थोड़ा इठलाया व बलखाया,

और हद से ज़्यादा शर्माया।

कहा मैं लेने आया हूँ 'पप्पी'

त्वचा हो जाएगी काली।



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