युद्ध भूमि
युद्ध भूमि
तो क्या हुआ
जो हारे हैं हम
यह युद्ध था
पर डिगे नहीं।
यह युद्ध
अभिमानों से था
यह हार
रजवाड़ों की थी
तो क्या हुआ
जो शत्रु जय
उनकी वृहद
बाहों में थी।
हारे हुए सैनिक का
अब मान क्या
अपमान क्या
आदेश था कि
यूद्ध कर
रण क्षेत्र से
डिगे नहीं
तो क्या हुआ
जो हार कर
रक्तिम हुए
रुके नहीं।
दुखता तो है
रुकता नहीं
अपमान से
कँपता नहीं
तो क्या हुआ
जो तंज हो
सूरज है यह
छिपता नहीं।
आओ कि
मुझको दंड दो
जीते हो तुम
मुझे व्यंग दो
घायल हैं हम
टूटे नहीं
तो क्या हुआ
तुम जो प्रचंड हो
सैनिक द्वंद से
डरते नहीं।
तो क्या हुआ
जो हारे हैं हम
यह युद्ध था
पर डिगे नहीं।
