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Deepika Raj Solanki

Classics

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Deepika Raj Solanki

Classics

यशोदा के नंदलाल

यशोदा के नंदलाल

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भाद्रपद था वह मास ,अष्टमी तिथि,

जब विराजे नन्हे कृष्ण बन लाल देवकीनंदन , 

आएं मथुरा कारागार में देखो साक्षात भगवन,

करनी थी नन्हे प्राणों की रक्षा,

कर पार यमुना की धार ,शेषनाग की छांव में पहुंचे वासु नंद के द्वार ,

देवकीनंदन को छोड़ यशोदा के पास,

कृष्ण बने अब यशोदा के नन्दलाल ,

सूतिकागार गृह में फैला अभिनव प्रकाश ,

गोकुल आएं यशोदा के नंदलाल, 

आनंदित हो उठा वात्सल्य यशोदा रानी का ,  

पुत्र रू में पा लिया साक्षात स्वामी ब्रह्मांड का, 

गोकुल में आनंद छाया कृष्ण बाल रूप में यशोदा के घर आया ,

यशोदा वारी- वारी जाएं, जब ठुकते नंदलाल कोतुहल दिखाएं  

माखन ,दूध ,दही मिश्री 

  

 यशोदा के नंदलाल को खूब भाएं,  

गोचरण, गोवर्धन , रासलीला यशोदा का नंदलाल खूब रचनाएं  

माटी खा,मुंह में ब्रह्मांड दर्शन यशोदा को कराएं,

   

अचंभित होती मैया देख अपने नंदलाल की ऐसी लीला  

कभी पूतना वध तो बलशाली शकरासुर आदि को मार गिराएं,  

कभी कालिया नाग के फन पर मुरली बैठ बजाएं, छोटी सी उंगली में अपने गोवर्धन को उठाएं, 

गोपियों को पनघट पर बार-बार बहुत सताएं, 

मारे पिचकारी उनकी चोली तो कभी चुनरी भिगाएं ओखल से बांध सबक यशोदा माता उसे सिखाएं ,

कण-कण आनंदित होता जब नंदलाल मुरली की धुन बजाएं, 

नटखट यशोदा का नंदलाल कई-कई लीला रचाएं,  

गौचरण और मुरली की धुन का समावेश ऐसा बनता जाएं, 

पीछे-पीछे नंद लाल के पूरा गोधन चला आएं, कालचक्र की पूरी हुई परिधि ,

गोकुल में कृष्णा की हुई पूरी हुई अवधि ,

अक्रूर ने आकर यशोदा के हृदय में क्रूर प्रहार किया,

प्राण प्रिय पुत्र कृष्ण को कंस के रंगशाला के लिए तैयार किया,

मूर्छित होकर गिर जाती मैया जब नंद ने बताया लाल यह तेरा नही,

देवकी वासु का भी कहलाए, 

तुमने है बस इसको पाला,

वज्रपात यह एक मां के हृदय में ये कैसा कर डाला ?

पुत्र को उसके पराया बना डाला  

नंद ने यशोदा को समझाया विघ्न ना डालो पूर्व निर्धारित इस के कार्य में,

योगमाया ने माया का अपना प्रभाव फैलाया,

मैया से ले अनुमति कृष्ण गोकुल से मथुरा आया ,

विक्षिप्त हो गई यशोदा मैया,

हुआ शीतल हृदय जब कुरुक्षेत्र में अपने नंदलाल को कृष्ण रूप में पाया ,

कृष्ण ने भी पुत्र होने का दायित्व उठाया ,

भेज गोलोक मां को अपना कर्तव्य निभाया।।

  


  

 


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