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Deepika Raj Solanki

Classics

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Deepika Raj Solanki

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जय हो छठी मैया की

जय हो छठी मैया की

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कार्तिक मास आयो शुक्ल पक्ष ,

नहाए खाए संग शुरू हुआ कात्यायनी मैया का व्रत महान

खड़ी भीगी मैया पोखर बीच, देती उगते सूरज को अर्घ्य,

षष्ठी मां से करती विनती घर आंगन में बरसे सुख समृद्धि

निर्जल व्रत रख करते जन आवाह्न 

हरियाली फैले ,फले फूले घर और खलियान,

दीर्घायु और चरम सुख पाय संतान

विघ्न सारे हर ले जाए ढलता सूर्य साथ, 


डूबते सूरज को कर प्रणाम,

अर्घ्य दे गाते मंगल गान,

अक्षत, सिंदूर और दीप,

कंद सुथनी, गन्ना, हल्दी 

से सजाकर बांस टोकरियाँ तीन ,

करते अर्पित नदी के तीर,

खरना का ले प्रसाद ,

व्रती पूर्ण करती अपना उपवास,

रहे सदा छठ मैया का आशीष 

हरियाली और प्यार,

यही प्रार्थना करता संसार।



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