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Shruti Sharma

Abstract Classics Inspirational

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Shruti Sharma

Abstract Classics Inspirational

मेरी जिंदगी एक खुली किताब

मेरी जिंदगी एक खुली किताब

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मैं लिखकर खुद ढूँढती हूँ जवाब अपने ही सवालों का,

स्वागत है उन सभी इच्छुुुक मेरे अल्फाज़ पढ़ने वालों का।

हो खुशी या गम गिनने की मुझे अब फुर्सत नहीं,

ये मेेेरी जिंदगी है, कोई हिसाब का दरखत नहीं।


कहते तो सब हैं मगर कोई वाकई समझदार कहाँ,

मेरे चंद लफ्ज़ कर जाएँ गुमराह जिन्हें, वो क्या समझेंगे भला मौन यहाँ।

मैं खुद बनाकर चलती हूँ अपने ही उसूलों पर, यहाँ किसी की मुझ पर हिदायत नहीं,

माना शिकायतें कई हैं खुद से, मगर जिंदगी से अब कोई शिकायत नहीं।


अब जो जाना है खुद को, ना कोई शिकवा बस मुसकान लिए फिरते हैं,

भाव भी मुझमें अब शब्दों में मिलते हैं।

इस जीवन में

मेरा प्रत्येक शब्द, मेरी कला में इज़ाफत का आफ़ताब है,

जो समझ सको तो पढ़ लो

मेरी तो जिंदगी का हर पन्ना एक खुली किताब है।।

मेरी तो जिंदगी का हर पन्ना एक खुली किताब है।।


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