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Shaktivir Singh

Classics Inspirational

4  

Shaktivir Singh

Classics Inspirational

यादें

यादें

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यादें सिर्फ यादें होती हैं

यादों की कोई उम्र नहीं होती

घूमते फिरते

बिन बताए, बिन बुलाए

चली आती हैं

बिन बोले, बिन गुनगुनाए

कह जाती हैं सैकड़ों बातें

यादें तो यादें होती हैं


कभी मेरी तो कभी गैरों की होती हैं

कभी अंधेरों तो कभी सवेरों की होती हैं

जिनकी भी हो यादगार होती हैं

यादें यो सिर्फ यादें होती हैं


यादों का अपना आशियां होता है

जहां हर कोई तो नहीं, कोई खास जरूर होता है 

यादों के काफिले अकेले नहीं होते

समेटे होते हैं आधे अधूरे ख्वाब

कुछ पूरे अरमान

कुछ बतकही, कुछ अनकही

यादें तो सिर्फ यादें होती है


कभी चेहरे पर मुस्कान लाती हैं

तो कभी आंखें सजल कर जाती हैं

अतीत के पन्नों का वर्तमान की किताब से तआरुफ़ कराती हैं

यादें तो यादें होती हैं।


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