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SURYAKANT MAJALKAR

Abstract

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SURYAKANT MAJALKAR

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यकीनन

यकीनन

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तुम आओगी जरुर, मुझको यकीन है।

नहीं तो मरना आसान होता।


मश्वरे दोस्तों ने दिये, रिश्तोंने बातें बनायी।

"ये मजनू हो गया,” लोगोंने खबर फैलायी।


दिल टुटने के किस्से बहुत है।

जिंदगी को अपनी बिखरते देखा है।


कहाँ तक साथ देती लहरें

किनारे को मैंने बदलते देखा है।


डुबता सुरज हो, उगता सुरज हो,

जिंदगी को मैंने संवरते देखा है।


तुझ पे क्या भरोसा मैं करुॅं जिंदगी?

भरोसे को मैंने तुटते देखा है।


पर क्युँ न जाने, ये दिल जानता है।

तेरे यकीन को हकीकत में बदलते

देर नहीं लगती।


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