STORYMIRROR

Sanjay Jain

Drama

4  

Sanjay Jain

Drama

यकीन

यकीन

1 min
672

मुसीबत का पहाड़, 

कितना भी बड़ा हो।

पर मन का यकीन,

उसे भेद देता है।

मुसीबतों के पहाड़ों को, 

ढह देता है।

और अपने कर्म पर,

जो भरोसा रखता है।


सांसारिक उलझनों में,   

उलझा रहने वाला इंसान।

यदि कर्म प्रधान है तो,

हर जंग जीत जायेगा।

और हर परस्थितियों से

बाहर निकल आएगा।


लिखता है कहानियाँ,  

सफलता की इंसान।

गिरा देता है पहाड़ो को,

अपने आत्म विश्वाव से।

और यही से निकलता,

बहुमूल्य हीरा को।

और यह काम इंसान ही

अपने बूते पर करता है।


रखो यकीन अपने,  

आत्मबल पर तुम।

यकीन से में कहता हूं,

बदल जाएगी तेरी किस्मत।

न हो यकीन अगर तुमको,

तो कुछ करके काम देखो,

सफलता चूमेगी तेरे  

कदमों को।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama