" यहीं गरीबी पलना है "
" यहीं गरीबी पलना है "
घुटन अभावों में होती है,
यहीं गरीबी पलना है !
रोज जिंदगी अकसर ठगती,
लगती जैसे छलना है !
चाहे से भी नहीं मिले कुछ,
सब प्रयास पर निर्भर हैं !
सफर कठिन भी लगे सुहाना,
सोच बनाती दुष्कर है !
लगे सफलता दूर खड़ी है,
नित नवीन सी ललना है !
सहज नहीं कुछ भी पाना जब,
तन, मन टूटा करता है !
कमजोरी पर विजय पा गए,
अंधकार तब डरता है !
मंजिल पाना चाह अगर है,
वक्त मुताबिक ढलना है !
बनें गुणी जब भगे गरीबी,
सदा हौंसले कायम हों !
खुशियों को भी कभी न तरसे,
बाजू में इतना दम हो !
वक्त खड़ा हो अपने द्वारे,
हाथ उसे ही मलना है !
है विपन्नता सबक सिखाती,
भय की कोई बात नहीं !
अंधियारा निगले उजियारा,
मिलती है सौगात यहीं !
अभिशाप बने वरदान यहाँ ,
अमृत फल यही चखना है !