ये प्यार मुझको कब हुआ ?
ये प्यार मुझको कब हुआ ?
ख्याल आया मन में जिस पर
सोच कर मुझे अचरज हुआ, ।।२।।
बीते पन्नों में ढूंढने लगा
कि ये प्यार मुझको कब हुआ?
(अब अपने मां के लिए कवि कहते हैं)
क्या ये तब हुआ जब उसकी मीठी लोरी सुनकर सोता था,
जो मांगता था आज कल पास मेरे होता था,
या तब हुआ, मुझे देख रोता, मेरे पास आया करती थी,
ना जाने किस जादू से मुझको चुप कराया करती थी,
अब दूर है तो सोचता हूं
एहसास क्यों ना तब हुआ,
जान के भी ना जान पाया की ये प्यार मुझको कब हुआ?
(अब कवि अपने प्रिय मित्र से कब इतना करीब आ गए उस पर सवाल करते है)
क्या ये तब हुआ जब स्कूल में पास मेरे वो आया था,
साल भर साथ रह कर भाई खुद को बनाया था,
रिश्ते में भाई से खुद को बाप, मुझको बेटा, दो पल में बोल देता था,
साथ रहता, साथ देता और कभी टांग खींच लेता था,
डूब गया इस तरह मौज में एहसास ये ना तब हुआ,
देख के ना देख पाया कि ये प्यार मुझको कब हुआ ?
(अब अपने पिता के लिए कवि कहते हैं)
क्या ये तब हुआ,
जब मेरा चेहरा देख पूरी बात जान लेते थे,
बिन कहे बिन सुने मेरा साथ हर वक्त देते थे,
या तब हुआ जब गलती
पर डंडों की बारिश भरपूर होती थी,
फिर बाद में प्यार से सुलझती मेरी गुट्टी थी,
ना जान पाया, मार खाने पर गुस्सा उनपर क्यों ना तब हुआ,
ढूंढ के ना ढूंढ पाया कि ये प्यार मुझको कब हुआ?
अब ख्याल में एहसास है,मेरे पास उनकी ये याद है,
डूब गया इस तरह काम में,याद करने को बस यह रात है,
जब तक मिला तो कुछ नहीं
ना मिलने पर एहसास मुझको अब हुआ,
वक्त में झांक कर पता चला कि ये प्यार मुझको कब हुआ।
ये प्यार मुझको कब हुआ।